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पाकिस्तानी हाई कमीशन बना जासूसों का अड्डा! 9 सालों में पकड़े गए 6 वीजा अधिकारी

9 सालों में पकड़े गए 6 वीजा अधिकारी

भारत में पकड़े गए अधिकतर पाकिस्तानी जासूसों का संबंध सीधे पाकिस्तान हाई कमीशन से मिलता है. जासूसी में ज्यादातर उन लोगों को शामिल किया जाता है जिनका आम भारतीय नागरिकों से ज्यादा संबंध रहता है और वह पैसों की लालच में या फिर मजबूरी में आईएसआई के लिए काम करने लगते हैं. पिछले 9 सालों में 6 वीजा अधिकारी जासूसी करते पकड़े गए हैं.

 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत में कई पाकिस्तानी जासूसों को गिरफ्तार किया गया है. खास बात यह है कि पकड़े गए अधिकतर पाकिस्तानी जासूसों के तार सीधे नई दिल्ली के पाकिस्तान हाई कमीशन से जुड़े हैं. पाकिस्तान हाई कमीशन में पहले भी ऐसे कई वीजा अधिकारी पकड़े जा चुके है जो पाकिस्तान के साथ भारत की गोपनीय जानकारियां साझा करते थे.

इसी तरह कुछ दिन पहले ज्योति मेहरोत्रा जासूसी कांड में पाकिस्तान दूतावास में तैनात दानिश नाम के वीजा अधिकारी का खुलासा हुआ, जोकि वीजा दिलवाने की आड़ में भारतीय सेना की जासूसी करवा रहा था. बाद में पता चला कि दानिश का असली नाम एहसान उर रहमान है जोकि आईएसआई (ISI) के लिए काम करता था. आईएसआई एजेंट होने के साथ-साथ वह पाकिस्तान हाई कमीशन में वीजा अधिकारी के पद पर कार्यरत था. इसके अलावा पिछले 9 सालों में 6 वीजा अधिकारी जासूसी करते पकड़े गए.

2016 में पकड़ा गया महमूद अख्तर

सबसे पहले साल 2016 में आईएसआई ऑफिसर महमूद अख्तर को पकड़ा था, जोकि पाक हाई कमीशन में बतौर वीजा ऑफिसर तैनात था. महमूद अख्तर ने साल 2013 में आईएसआई ज्वाइन की थी. इसके बाद वह एक ऑफिसर के भेष में पाकिस्तान के लिए जासूसी करता था. महमूद अख्तर को पकड़ने के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पाकिस्तान हाई कमीशन से जुड़े करीब 5 अन्य भारतीय लोगो को भी गिरफ्तार किया था. ये आरोपी भारतीय फौज की सारी खुफिया जानकारी आईएसआई और पाकिस्तान उच्च आयोग को देते थे. महमूद अख्तर को डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी होने के कारण पाकिस्तान वापस भेज दिया गया था.

2020 में भी पकड़े गए दो ISI एजेंट

31 मई 2020 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात दो अन्य वीजा ऑफिसर को पकड़ा, जो पाकिस्तान के लिए जासूसी का काम करते थे. इन ऑफिसर का नाम आबिद हुसैन और ताहिर खान था. ये दोनों ऑफिसर असल में पाकिस्तान के आईएसआई के एजेंट थे. इन दोनों आईएसआई एजेंट को परसोना नॉन ग्रेटा घोषित कर पाकिस्तान वापस भेज दिया गया. इसके बाद पाकिस्तान हाई कमीशन में कर्मचारियों की संख्या 180 से घटाकर 90 कर दी थी.

2021 में ISI एजेंट राणा को किया गिरफ्तार

साल 2021 में दिल्ली पुलिस ने एमआई के साथ मिलकर राणा मोहम्मद जिया को गिरफ्तार किया था. राणा पाकिस्तानी हाई कमीशन में वीजा अफसर के पद पर कार्यरत था. इसके साथ ही वह आईएसआई का एजेंट भी था. राणा के साथ आर्मी के कॉन्टेक्टर हबीब को भी पोखरन से पकड़ा गया था. जो राणा के साथ मिलकर पाकिस्तान को भारत की खुफिया जानकारी देता था.

2022 में भी पकड़ा गया एक वीजा अधिकारी

साल 2022 में भी पाक हाई कमीशन में बतौर वीजा अधिकारी काम करने वाले एक पीआईओ को गिरफ्तार किया गया. आरोपी ने दिल्ली के एक क़ुल्फी वाले को जाल में फँसाकर उससे पाँच हज़ार रुपये में पहले इंडियन मोबाइल सिम ली. जिसके जरिए उसने दिल्ली के कैंटोनमेंट एरिया की फोटो और वीडियो हासिल किए थे. इस बात का खुलासा होने के बाद पीआईओ को वापस पाकिस्तान भेजा गया था.

2024 में जासूसी नेटवर्क का खुलासा

अप्रैल 2024 में भी मिलिट्री इंटेलिजेंस ने दिल्ली से गुजरात तक फैले एक जासूसी नेटवर्क का खुलासा किया था. इस मामले में पाकिस्तान दूतावास में तैनात वीजा अधिकारी, अन्य पीआईओ अधिकारियों के साथ मिलकर भारतीय लोगों को वीजा का झांसा देकर उन्हें अपने जाल में फंसा लेता था. जिसके बाद उनसे भारतीय मोबाइल सिम हासिल कर जासूसी करते थे. मामले का पर्दाफाश होने पर कार्रवाई की गई.

एनआईए को हमेशा इस बात का अंदाजा रहता है कि पाकिस्तान हाई कमीशन में तैनात होने वाले स्टाफ और अधिकारियों में कुछ पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई के एजेंट होते है, जो गलत नाम और पद से अपना पासपोर्ट तैयार करवाते हैं और फिर भारत में आकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हैं. उसमे ज्यादातर एजेंट कुक ,ड्राइवर ,क्लर्क, वीजा अफसर, कल्चरल स्टाफ के तौर पर पाकिस्तान हाई कमीशन में काम करते हैं. इसके अलावा जासूसी में ज्यादातर उन लोगों को शामिल किया जाता है जो आम भारतीय नागरिकों से अधिक तालमेल रखते हैं और वह पैसों के लालच में या फिर मजबूरी में आईएसआई के लिए काम करने लगते हैं.

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