
युक्तियुक्तकरण पर बोले सीएम साय: शिक्षक विहीन स्कूलों की असमानता दूर करना ज़रूरी
रायपुर। प्रदेश में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण को लेकर चल रहे विवाद पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज बड़ा बयान दिया है। बीते दिनों शिक्षकों द्वारा मंत्रालय घेराव की घोषणा के बाद पैदा हुए माहौल पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम बच्चों के हित और शिक्षा व्यवस्था की समानता के लिए अनिवार्य है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “आज प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था में गहरी असमानता है। कहीं शिक्षक नहीं हैं तो कहीं जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। युक्तियुक्तकरण इसी असंतुलन को दूर करने का प्रयास है। लगभग 300 स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 5,000 स्कूलों में मात्र एक शिक्षक कार्यरत है, जबकि कुछ स्थानों पर छात्र संख्या से अधिक शिक्षक मौजूद हैं। यह बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है।”
सीएम साय इन दिनों लगातार जिलों के दौरे पर हैं और सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत जानने के लिए आकस्मिक निरीक्षण कर रहे हैं। अब तक 20 से अधिक जिलों का निरीक्षण कर चुके मुख्यमंत्री आज रायपुर से सारंगढ़ और रायगढ़ के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि इन दौरों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शासन की योजनाएं जनता तक पूरी पारदर्शिता से पहुंचे और किसी भी अनियमितता पर तत्काल कार्रवाई हो।
इधर शिक्षकों के मंत्रालय घेराव की तैयारी से प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर नई बहस छिड़ गई है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण से उनकी पारिवारिक और सामाजिक स्थिति प्रभावित हो रही है। वे इसे एकतरफा फैसला मानते हैं।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने भी सरकार की मंशा स्पष्ट करते हुए कहा, “शिक्षकों की बातों को गंभीरता से सुना जाएगा, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य से कोई समझौता नहीं होगा। सरकार का उद्देश्य केवल व्यवस्था को बेहतर बनाना है।”
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा चोरी पर प्रतिक्रिया देते हुए सीएम साय ने कहा कि रेणु जोगी ने इस विषय पर उनसे भेंट की है। “प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दे दिए गए हैं, और जांच के आधार पर सख्त कदम उठाए जाएंगे,” उन्होंने कहा।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि आगामी दिनों में पोलावरम परियोजना को लेकर प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक में वे राज्य के हितों को मजबूती से रखेंगे।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की कोशिशों के बीच युक्तियुक्तकरण एक ऐसा मुद्दा बन गया है जिसमें सरकार और शिक्षकों के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री के बयान से स्पष्ट है कि सरकार बच्चों के हित को सर्वोपरि मानते हुए कदम उठा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में शिक्षकों की चिंताओं को नजरअंदाज न करना भी उतना ही जरूरी होगा।