‘द लायन’ प्रतीक तिवारी की पुलिस अधीक्षक से शिष्टाचार भेंट,
मौत के मुकाबले के अनुभव साझा कर बोले, "तिरंगा लहरायेंगे या तिरंगे में लौटेंगे"

‘द लायन’ प्रतीक तिवारी की पुलिस अधीक्षक से शिष्टाचार भेंट,
मौत के मुकाबले के अनुभव साझा कर बोले, “तिरंगा लहरायेंगे या तिरंगे में लौटेंगे”
जांजगीर-चांपा। देश-विदेश में भारत का गौरव बढ़ाने वाले छत्तीसगढ़ के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर के ‘डेथ मैच रेसलर’ प्रतीक तिवारी ने मंगलवार को जिले के नवपदस्थ पुलिस अधीक्षक विजय पाण्डेय (आईपीएस) से सौजन्य भेंट की। इस दौरान दोनों के बीच रेसलिंग, खासकर मौत के मुकाबले जैसे अत्यंत जोखिमपूर्ण खेल को लेकर विस्तृत चर्चा हुई।
पुलिस अधीक्षक पाण्डेय ने प्रतीक की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए उनके हौसले, जज्बे और राष्ट्रभक्ति की सराहना की। उन्होंने कहा, “आप जैसे युवा आज के भारत की असली पहचान हैं, जो अपने जुनून और देशभक्ति से पूरे प्रदेश को गौरवान्वित कर रहे हैं।”
मुलाकात के दौरान प्रतीक तिवारी ने बताया कि मौत का मुकाबला केवल एक खेल नहीं बल्कि ज़िंदगी और मौत की जंग होती है। उन्होंने कहा, “हमारे मैच में नियमों का कोई बंधन नहीं होता। बेसबॉल बैट, कांटेदार तार, टेबल, स्टिक, लैडर, कांच की ट्यूबलाइट तक से वार किए जाते हैं। कई बार हड्डियां टूटती हैं, खून बहता है, पर हार नहीं मान सकते—क्योंकि रिंग में हम सिर्फ़ अपने देश के लिए लड़ते हैं।”
एसपी ने भी हाल ही में हुए भारत बनाम पाकिस्तान डेथ मैच को लेकर रेसलर से चर्चा की और आगामी मुकाबलों के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव व मानसिक मजबूती से जुड़ा मार्गदर्शन भी दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें हरसंभव सहयोग मिलेगा।
रेसलिंग सफर की शुरुआत ऐसे हुई
जिले के नवागढ़ विकासखंड के ग्राम अमोरा (महंत) निवासी प्रतीक तिवारी बचपन से ही ‘द ग्रेट खली’ के फैन रहे। उनके पिता रामगुलाम तिवारी उन्हें बचपन में रेसलिंग टीवी पर दिखाते थे, जिससे प्रेरणा लेकर प्रतीक ने 13 वर्ष की उम्र में खुद से ट्रेनिंग शुरू की। जब उनकी लगन देखी गई तो माता-पिता ने उन्हें खली के प्रशिक्षण केंद्र, पंजाब भेजा। वहां तीन वर्षों की कठिन ट्रेनिंग के बाद प्रतीक ने देश-विदेश में 200 से अधिक मुकाबलों में भाग लिया।
प्रतीक ने 2016 से देहरादून, हल्द्वानी, लुधियाना से लेकर राजस्थान, मथुरा, थाईलैंड तक कई मुकाबलों में न सिर्फ हिस्सा लिया बल्कि कई विदेशी पहलवानों को धूल भी चटाई।
प्रेरणा देने वाला संदेश
प्रतीक ने बातचीत में कहा, “हमारा सपना सिर्फ़ रेसलिंग चैंपियन बनना नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करना भी है। जब हम रिंग में उतरते हैं, तो तिरंगा हमारी सांसों में होता है। यदि जिंदा लौटे, तो तिरंगा लहरायेंगे और अगर नहीं, तो तिरंगे में लिपट कर लौटेंगे।”
‘द लायन’ के नाम से मशहूर
रेसलिंग जगत में ‘द लायन’ के नाम से प्रसिद्ध प्रतीक तिवारी ने थाईलैंड समेत कई अंतरराष्ट्रीय फाइटर्स को परास्त कर अपनी पहचान बनाई है। हाल ही में रायपुर में हुए मुकाबले में नेपाल के टैग टीम चैंपियन अमित ऐस्सनसन को हराकर उन्होंने भारत के लिए एक और खिताब हासिल किया।
पुलिस अधीक्षक का सहयोग आश्वासन
पुलिस अधीक्षक पाण्डेय ने प्रतीक के उत्साह की सराहना करते हुए कहा, “आपका साहस और समर्पण अनुकरणीय है। जब भी ज़रूरत पड़ी, प्रशासन आपके साथ खड़ा मिलेगा।”