
“तौलिये में लिपटी साज़िश” की चौथी कड़ी
जनप्रतिनिधि बना सौदेबाज़: न इंसाफ बचा, न इंसानियत!
बिलासपुर/जांजगीर-चांपा: जिस घर में एक बहू की असमय और दर्दनाक मौत हुई, उसी घर का एक सदस्य, जो खुद एक ग्राम पंचायत का सरपंच है, अब इस पूरे मामले में सबसे बड़ा संदेहास्पद चेहरा बनकर सामने आया है। जिस व्यक्ति पर पूरे गांव की सुरक्षा, न्याय और विकास की जिम्मेदारी थी, उसने अपने ही घर की बहू की मौत को एक सौदेबाज़ी में बदल दिया।
गर्भवती विद्या (परिवर्तित नाम) ने जब जांजगीर के एक निजी अस्पताल में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, तो पूरा परिवार खुश था। लेकिन ऑपरेशन के बाद अस्पताल की लापरवाही से उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई। पेट में असहनीय दर्द के बाद उसे बिलासपुर के एक नामी निजी अस्पताल में भर्ती किया गया, जहाँ ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को महिला के पेट से एक तौलिया मिला, जो पहले ऑपरेशन में ही अंदर छोड़ दिया गया था।
इस शर्मनाक लापरवाही के चलते महिला की हालत में सुधार नहीं हुआ और अंततः उसने दम तोड़ दिया। लेकिन उसके बाद जो हुआ, उसने इंसानियत को शर्मसार कर दिया।
सरपंच बना सौदेबाज़, बहू की मौत पर चुप्पी का सौदा!
परिजनों और अस्पताल सूत्रों के अनुसार, मृतका के जेठ, जो स्वयं एक ग्राम पंचायत के सरपंच हैं, ने न सिर्फ FIR दर्ज कराने से इनकार किया, बल्कि अस्पताल प्रबंधन से मिलीभगत कर पूरे मामले को दबाने का प्रयास भी किया। दशगात्र के समय भी इस सौदेबाज़ी की बुनियाद रखी गई, मृतका के घर के बाहर सरपंच द्वारा चौकीदारी जैसे निगरानी की गई। हर मिलने-जुलने वाले मेहमान को वही ‘घटिया और झूठी’ कहानी सुनाई गई, जो अस्पताल द्वारा बनाई गई थी। किसी भी पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता या बाहरी व्यक्ति को पीड़ित परिवार से बात नहीं करने दिया गया।जनप्रतिनिधि की भूमिका पर गंभीर सवाल क्या एक जनप्रतिनिधि का धर्म सिर्फ राजनीति तक सीमित रह गया है?क्या सरपंच को सिर्फ अपने पद की कुर्सी प्यारी है, बहू की जान नहीं? क्या एक ग्राम पंचायत का प्रतिनिधि इतना कमजोर और लालची हो सकता है कि अपनी ही घर की बहू की मौत को पैसे लेकर समझौते की मेज पर रख दे? जब एक व्यक्ति अपने ही घर की पीड़ा को दबाने के लिए भ्रष्टाचार का मोहरा बन जाए, तो फिर पूरे गांव की बहनों-बेटियों की सुरक्षा की उम्मीद किससे की जाए?
मौन, डर और शर्म का गठजोड़
CGKHABARNAMA की रिपोर्टिंग के अनुसार, जब ऑपरेशन के बाद मृतका ने खुद अपने परिजनों को बताया कि पेट में कुछ गलत हुआ है, तो परिवार में हलचल मच गई थी। परिजनों को बिलासपुर के डॉक्टरों और OT स्टाफ ने FIR की सलाह तक दी थी। लेकिन जैसे ही सरपंच ने हस्तक्षेप किया, मामला अचानक ‘शांत’ हो गया।
क्यों?
क्या उन्हें डर था कि इस मामले के खुलासे से उनकी सरपंची हिल जाएगी? या फिर अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें “चुप्पी की कीमत” दे दी थी?
अब जुड़ेगी सच्चाई की अगली कड़ी, स्टिंग ऑपरेशन से होगा पर्दाफाश!
अब तक इस पूरे प्रकरण में जो बातें अंदेशा थीं, वो अब साक्ष्य बनकर सामने आने को तैयार हैं।
CGKHABARNAMA को कुछ नर्सों द्वारा मीडिया को भेजे गए व्हाट्सएप नंबरों के माध्यम से ऑपरेशन थियेटर में हुई बातचीत और वीडियो की जानकारी मिली है, जिसमें इस घोर लापरवाही की पुष्टि होती है।सबसे बड़ा खुलासा आने वाला है:
एक गुप्त स्टिंग ऑपरेशन के दौरान खुद अस्पताल के डायरेक्टर ने यह कबूल किया है कि तौलिया उनके ही अस्पताल में निकाली गई थी।
यही नहीं, डायरेक्टर ने यह भी स्वीकारा कि ऑपरेशन के दौरान तौलिया उसी डॉक्टर और स्टाफ ने डाला था, जिन्होंने पहला ऑपरेशन किया था।
इस कबूलनामे के साथ ही CGKHABARNAMA अगली कड़ी में स्टिंग वीडियो के अंश और संबंधित डॉक्टरों-स्टाफ के चेहरे उजागर करेगा। यह सिर्फ एक मेडिकल लापरवाही नहीं, बल्कि एक रची गई मौत का दस्तावेज़ होगा।
जनता से सवाल — क्या ऐसे जनप्रतिनिधि पर भरोसा किया जा सकता है?
CGKHABARNAMA इस सवाल को सीधे जनता के सामने रखना चाहता है —
अगर एक सरपंच अपनी ही बहू के लिए न्याय की लड़ाई नहीं लड़ सका, तो वह गांव की अन्य महिलाओं के लिए क्या करेगा?
अगर एक जनप्रतिनिधि सच छुपाने के लिए झूठी कहानी गढ़े, तो क्या वो जनसेवक कहलाने लायक है?
अब डर का नहीं, इंसाफ का समय है!
CGKHABARNAMA इस चौथी कड़ी के माध्यम से स्पष्ट करता है कि यह लड़ाई सिर्फ एक महिला के इंसाफ की नहीं, बल्कि उस सोच के खिलाफ है जो सत्ता, पैसे और पद की भूख में इंसानियत को गिरवी रख देती है।