छत्तीसगढ़टॉप न्यूज़राज्यलोकल न्यूज़

सड़क के लिए सड़क पर उतरे बच्चे और ग्रामीण, 6 घंटे के हाईवे जाम के बाद झुका प्रशासन!”

कलेक्टर ने फोन पर दिया आश्वासन, विधायक ने की 3 करोड़ की घोषणा — “सरकार नहीं बनाएगी तो मैं बनवाऊंगा ये सड़क”

सड़क के लिए सड़क पर उतरे बच्चे और ग्रामीण, 6 घंटे के हाईवे जाम के बाद झुका प्रशासन!”

 

कलेक्टर ने फोन पर दिया आश्वासन, विधायक ने की 3 करोड़ की घोषणा — “सरकार नहीं बनाएगी तो मैं बनवाऊंगा ये सड़क”

 

जांजगीर-चांपा। बारिश की धार में भी न डिगे हौसले। सोमवार को जांजगीर-चांपा ज़िले के खोखसा ओवरब्रिज के पास नेशनल हाइवे-49 पर इतिहास रचता जनआंदोलन देखने को मिला, जब ग्रामीणों के साथ सैकड़ों स्कूली बच्चे भी सड़क पर बैठ गए। भीगती हुई यूनिफॉर्म, ठिठुरते बदन और मासूम चेहरों पर था सिर्फ एक सवाल — “कब बनेगी हमारी सड़क?”

सुबह 9 बजे से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन दोपहर 3 बजे तक चला। तेज़ बारिश में भी किसी ने मैदान नहीं छोड़ा। ग्रामीणों की मांग थी कि वर्षों से बदहाल सड़क की मरम्मत और निर्माण कार्य में अब और देरी न हो।

भावनाओं में भीग गया प्रशासन, मौके पर पहुंचे अफसर

मामले की गंभीरता तब बढ़ी जब बारिश के बावजूद छोटे-छोटे बच्चों ने जाम स्थल नहीं छोड़ा। यह दृश्य सोशल मीडिया में भी वायरल होने लगा। प्रशासन हरकत में आया और अपर कलेक्टर मौके पर पहुंचे। उन्होंने काफी देर तक आंदोलनकारियों को समझाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी।

इसके बाद कलेक्टर को फोन पर बुलवाया गया, और उन्होंने स्वयं विधायक ब्यास कश्यप से बात कराई। तब जाकर आंदोलनकारी शांत हुए।

कलेक्टर का आश्वासन — “एक सप्ताह में शुरू होगी मरम्मत, दिसंबर तक बनेगी सड़क”

कलेक्टर की ओर से प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया गया कि एक सप्ताह के भीतर प्राथमिक मरम्मत कार्य शुरू कर दिया जाएगा। दिसंबर तक टेंडर प्रक्रिया पूरी कर सड़क निर्माण का काम भी आरंभ कर दिया जाएगा।

विधायक ब्यास कश्यप की दो टूक — “अगर सरकार फेल हुई, तो 3 करोड़ विधायक निधि से बनवाऊंगा ये सड़क”

मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक व्यास कश्यप ने कहा — “अगर शासन-प्रशासन समय पर काम नहीं करता है, तो मैं वर्ष 2026-27 की संपूर्ण विधायक निधि, यानी 3 करोड़ रुपए, इसी सड़क पर खर्च करूंगा। यह वादा नहीं, चुनौती है।”

ग्रामीणों की चेतावनी, “वादाखिलाफी हुई तो अगला आंदोलन होगा और भी उग्र”

हालांकि फिलहाल आंदोलन समाप्त कर दिया गया है, लेकिन ग्रामीणों ने साफ कहा है कि यदि वादे पर अमल नहीं हुआ, तो अगली बार सड़कों पर और भी बड़ा जनसैलाब होगा।

अंत में सवाल यह भी…

क्या सिर्फ आंदोलन ही अब विकास का एकमात्र रास्ता बचा है? क्यों सड़कों के लिए भी बच्चों को सड़क पर उतरना पड़ रहा है?
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन अपने वादों पर कितना खरा उतरता है, क्योंकि इस बार गवाह सिर्फ जनता नहीं, उन बच्चों की आंखें भी हैं जिनकी नमी आज सड़क पर सवाल बनकर बह निकली।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!