
“युक्तिकरण नहीं, शिक्षकों की शोषण नीति है ये” – साझा मंच का राज्य सरकार पर बड़ा हमला
अब 33 जिलों में गरजेंगे शिक्षक
रायपुर। राजधानी रायपुर के मोतीबाग स्थित प्रेस क्लब में शिक्षक साझा मंच छत्तीसगढ़ द्वारा बुलाई गई एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग के अफसरों पर भ्रष्टाचार और शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ के गंभीर आरोप लगाए गए। मंच के सभी 23 संयोजकों ने युक्तिकरण प्रक्रिया को शिक्षकों और विद्यार्थियों के विरुद्ध मानसिक उत्पीड़न करार दिया।
इस दौरान मंच के संयोजकों – मनीष मिश्रा, केदार जैन, वीरेंद्र दुबे, संजय शर्मा, विकास राजपूत, कृष्णकुमार नवरंग, राजनारायण द्विवेदी, जाकेश साहू, भूपेंद्र बनाफर, शंकर साहू, भूपेंद्र गिलहरे, चेतन बघेल, गिरीश केशकर, लैलूंन भरतद्वाज, प्रदीप पांडे, प्रदीप लहरे, राजकिशोर तिवारी, कमल दास मुरचले, प्रीतम कोशले, विक्रम राय, विष्णु प्रसाद साहू, धरम दास बंजारे और अनिल कुमार टोप्पो ने एक के बाद एक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर जमकर निशाना साधा।
क्या कहा साझा मंच ने?
शिक्षक नेताओं ने कहा कि युक्तिकरण प्रक्रिया पूरी तरह से धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से भरी हुई है। अधिकारियों ने रातों-रात सूची जारी की, दावा-आपत्ति का मौका नहीं दिया और पुलिस बल लगाकर शिक्षकों को जबरदस्ती स्थानांतरित किया। कई शिक्षक बिना सूचना के बाहर भेजे गए, तो कई शिक्षकों से पैसे लेकर उन्हें मनपसंद जगह पर पोस्ट किया गया।
शिक्षकों के आरोप –
सूचियाँ आधी रात को जारी की गईं, बिना दावा-आपत्ति के।
दबावपूर्वक काउंसलिंग कराई गई, पुलिस बल की मौजूदगी में।
विदेश यात्रा पर रहे शिक्षक को भी काउंसलिंग के जरिए स्थानांतरित कर दिया गया।
दिव्यांग शिक्षकों को भी 100-150 किमी दूर भेजा गया।
वरिष्ठों को हटाकर कनिष्ठों को रखा गया – नियमों का खुला उल्लंघन।
शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सवाल
मंच ने आरोप लगाया कि सरकार जानबूझकर प्राथमिक शालाओं से एक-एक शिक्षक घटा रही है। कई स्कूलों को बंद या मर्ज कर दिया गया है, जिससे 50,000 से अधिक पद खत्म हो चुके हैं। शिक्षकों की संख्या घटने से शिक्षा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आना तय है।
क्या है मांग?
शिक्षक साझा मंच का कहना है कि वे युक्तिकरण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन सेटअप 2008 के आधार पर पारदर्शी प्रक्रिया चाहते हैं। जब तक यह लागू नहीं होता, तब तक वर्तमान युक्तिकरण प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए।
आंदोलन की रूपरेखा:
10 जून: सभी 33 जिला मुख्यालयों में रैली एवं कलेक्टर को ज्ञापन।
13 जून: सभी संभाग मुख्यालयों में प्रदर्शन और आयुक्त/जेडी को ज्ञापन।
16 जून: प्रदेशव्यापी स्कूल बहिष्कार आंदोलन की घोषणा।
शिक्षक साझा मंच ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार नहीं चेती तो यह आंदोलन अब शिक्षा विभाग के खिलाफ एक राज्यव्यापी जनांदोलन का रूप ले लेगा। मंच ने शासन से पारदर्शिता, ईमानदारी और शिक्षकों के सम्मान की रक्षा की मांग की है।