75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरसता ख़ैजा गांव, बदइंतजामी की खुली पोल
"जब आंगनबाड़ी हो किराए की, स्कूल हो खतरे में, अस्पताल ताले में, तो समझिए सिस्टम है फेल!"

75 साल बाद भी मूलभूत सुविधाओं को तरसता ख़ैजा गांव, बदइंतजामी की खुली पोल
जब आंगनबाड़ी हो किराए की, स्कूल हो खतरे में, अस्पताल ताले में, तो समझिए सिस्टम है फेल!
जांजगीर-चाम्पा : “आजादी के 75 सालों बाद भी विकास के दावे ज़मीनी हकीकत से कितने दूर हैं, इसका उदाहरण है बलौदा विकासखंड का ग्राम पंचायत खैजा, जहां बच्चों के लिए ना सही भवन है, ना स्वास्थ्य सेवा समय पर मिलती है, स्कूल खतरे की घंटी बन चुका है और प्रशासनिक जवाबदेही का तो अता-पता ही नहीं।

बलौदा विकासखंड का खैजा गांव इन दिनों उपेक्षा और अव्यवस्था का जीवंत उदाहरण बना हुआ है। गांव में ना आंगनबाड़ी भवन है और ना ही पंचायत भवन। बीते 15 वर्षों से आंगनबाड़ी किराए के मकान में संचालित हो रही है, लेकिन सुविधा के नाम पर केवल नाम का केंद्र ही रह गया है।

आंगनबाड़ी केंद्र में निरीक्षण के दौरान कार्यकर्ता अनुपस्थित पाई गईं, जबकि सहायिका के अनुसार यहां 25 बच्चों का पंजीयन है, लेकिन मौके पर सिर्फ 5 बच्चे ही उपस्थित थे। इससे साफ जाहिर होता है कि बच्चों की देखभाल और पोषण योजना कितनी गंभीर स्थिति में है।
शिक्षा व्यवस्था भी लचर
गांव की शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला की स्थिति भी चिंताजनक है। कक्षाओं में खुले हुए झूलते तार बच्चों के लिए जानलेवा बन चुके हैं। किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। जब मीडिया ने इस बारे में प्रधान पाठक से सवाल किया, तो वे टालने वाले जवाब देने लगे, जो उनकी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश साफ दिखाता है।

स्वास्थ्य केंद्र बना अनुपस्थिति का केंद्र
गांव में स्थापित सब सेंटर की भी हालत बदतर है। रिपोर्टिंग के समय तक दोपहर 12 बजे तक ताला लटका मिला। जब 12:05 पर पुरुष आरएचओ पहुंचे, तो उनके पास देर से आने का कोई स्पष्ट कारण नहीं था। महिला आरएचओ को 24 घंटे वहीं निवास करने का नियम है, लेकिन वे नदारद थीं। ग्रामीणों के अनुसार, स्टाफ कभी भी समय पर नहीं आता।

हाई स्कूल बना असामाजिक गतिविधियों का अड्डा
गांव का हाई स्कूल बिना अहाते के है, जिसके चलते असामाजिक तत्व रात में शराब पीकर खाली बोतलें स्कूल के पास फेंक जाते हैं। स्कूल परिसर की जमीन पर कब्जा भी कर लिया गया है, जिससे वहां अहाता बनाना संभव नहीं हो पा रहा।

ग्राम पंचायत खैजा की हालत देखकर सवाल उठना लाजमी है कि आखिर आजादी के सात दशक बाद भी यह गांव मूलभूत सुविधाओं से क्यों वंचित है? चाहे आंगनबाड़ी की बदहाली हो, स्कूल की जानलेवा खामियां या स्वास्थ्य केंद्र की लापरवाही – हर स्तर पर सिस्टम विफल नजर आ रहा है।

अब देखना यह होगा कि मीडिया की इस रिपोर्ट के बाद कब जागती है जिम्मेदार तंत्र की आंखें, और कब मिलेगा खैजा गांव को वो हक जो आजादी के साथ हर नागरिक को मिला था।




