“भीड़ फाटक पर, ट्रैफिक पुलिस दुकान पर, ड्यूटी को मजाक बना दिया!”
जनता परेशान, पुलिस आराम में

“भीड़ फाटक पर, ट्रैफिक पुलिस दुकान पर, ड्यूटी को मजाक बना दिया!”
जनता परेशान, पुलिस आराम में
जांजगीर-चांपा | नैला रेलवे फाटक वर्षों से जाम और भीड़ का प्रतीक बना हुआ है। इस चेकिंग प्वाइंट पर हर दिन हजारों लोग जाम में फंसते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि फाटक पर तैनात यातायात पुलिसकर्मी जनता की मदद करने की बजाय दुकानों में बैठकर आराम फरमाते नजर आते हैं। यह न केवल कर्तव्य की अनदेखी है, बल्कि आम जनता के साथ सीधा विश्वासघात भी है।
फाटक जाम, गाड़ियाँ फंसीं, लेकिन ड्यूटी पर नहीं दिखे ‘ड्यूटी वाले’!
रेलवे फाटक पर स्थिति यह है कि स्कूल जा रहे बच्चे, नौकरी पर जा रहे कर्मचारी, मरीज लेकर निकली एंबुलेंस और जरूरी सामान ढोते वाहन, सब जाम में घंटों तक फंसे रहते हैं। लेकिन इन परिस्थितियों में भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के बजाय कन्हाईबंद की ओर स्थित दुकान में बैठे दिखे।
यह तस्वीर आज 10 जुलाई 2025 की सुबह 10 बजकर 5 मिनट की है।
क्या यह है ‘जनसेवा’?
ट्रैफिक पुलिस की भूमिका सड़क पर ट्रैफिक नियंत्रण की होती है, लेकिन जब पुलिस ही ड्यूटी छोड़ आराम फरमाने लगे तो इससे बड़ा प्रशासनिक अपराध और क्या हो सकता है?
स्थानीय लोगों का कहना है: “हमें लगा था पुलिस जाम खुलवाएगी, लेकिन वो तो दुकान में आराम फरमा रहे थे!”
प्रशासन को चाहिए कार्रवाई, न कि केवल चेतावनी
यह स्थिति केवल लापरवाही नहीं, बल्कि कर्तव्य विमुखता है। जब विधायक व्यास कश्यप खुद इस फाटक की समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, तब भी ट्रैफिक पुलिस की यह बेरुखी शर्मनाक है।
जनता की मांग:
1. जांच हो कि किस ड्यूटी पुलिसकर्मी ने फाटक पर लापरवाही बरती।
2. सीसीटीवी फुटेज खंगालकर दोषियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो।
3. फाटक पर 24×7 सक्रिय ट्रैफिक प्रबंधन व्यवस्था बनाई जाए।
4. स्थायी ट्रैफिक बूथ व मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया जाए।
अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन अपनी ही वर्दीधारी व्यवस्था की इस विफलता पर आंखें मूंदे रहेगा? या फिर वाकई दोषियों पर कार्रवाई कर जनता को यह भरोसा देगा कि सिस्टम अब भी ज़िंदा है?