छत्तीसगढ़राज्यलोकल न्यूज़

“दिव्यांग बच्चों का हक छीनने वालों पर कब गिरेगी गाज? अप्रैल से बंद था विद्यालय, अब तक नहीं हुई जिम्मेदारों पर कार्रवाई!”

"छात्रावास बंद, शिक्षा ठप, दृष्टिबाधित छात्रों को किया गया शिक्षा से वंचित!"

“दिव्यांग बच्चों का हक छीनने वालों पर कब गिरेगी गाज? अप्रैल से बंद था विद्यालय, अब तक नहीं हुई जिम्मेदारों पर कार्रवाई!”

“छात्रावास बंद, शिक्षा ठप, दृष्टिबाधित छात्रों को किया गया शिक्षा से वंचित!”

दिव्यांगों के अधिकारों की अनदेखी, तिफरा विद्यालय बना उपेक्षा का प्रतीक

 

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति के प्रदेशाध्यक्ष राधा कृष्ण गोपाल ने आज कलेक्टर बिलासपुर, संभागायुक्त और समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र लिखकर तिफरा स्थित शासकीय दृष्टि एवं श्रवण बाधितार्थ विद्यालय की गंभीर लापरवाही की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

पत्र में बताया गया है कि यह विद्यालय अप्रैल 2025 से बंद पड़ा था, जबकि नया शैक्षणिक सत्र 16 जून से आरंभ हो चुका था। गंभीर बात यह है कि विद्यालय का छात्रावास 6 जुलाई तक प्रारंभ नहीं किया गया, जिससे वहां रहकर पढ़ने वाले दर्जनों दृष्टिबाधित एवं मूकबधिर छात्र-छात्राएं शिक्षा से वंचित हो गए। जब मीडिया में मामला उजागर हुआ, तब जाकर 7 जुलाई को छात्रावास प्रारंभ किया गया, पर अब तक इस घोर लापरवाही के लिए किसी भी अधिकारी या कर्मचारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।

प्रदेशाध्यक्ष के अनुसार, दृष्टिबाधित खंड में केवल एक शिक्षक देवेन्द्र चन्द्रा पदस्थ हैं, जिन्हें शिक्षण कार्य से हटाकर छात्रावास का वार्डन व राशन भंडारण का अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया है। परिणामस्वरूप, दृष्टिबाधित छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, जबकि अधिकारी मौन हैं।

चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई है कि देवेंद्र चंद्रा द्वारा छात्रावास एवं विद्यालय के पूर्व कर्मचारियों को हटाकर मनमाने ढंग से नई नियुक्तियाँ की जा रही हैं।

समिति ने माँग की है कि देवेंद्र चंद्रा को तत्काल वार्डन व भंडारण जैसे गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्त कर केवल शिक्षण कार्य में लगाया जाए और इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच किसी डिप्टी कलेक्टर स्तर के अधिकारी से कराई जाए। यह भी पता लगाया जाए कि अप्रैल से लेकर 6 जुलाई तक विद्यालय और छात्रावास को बंद रखने का आदेश किसने दिया था।

समाज कल्याण विभाग की खामोशी भी संदेह के घेरे में

इतने गंभीर प्रकरण में न तो समाज कल्याण विभाग की ओर से अब तक कोई औपचारिक बयान आया है और न ही दोषियों पर निलंबन या अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं विभागीय मिलीभगत तो इस उपेक्षा का कारण नहीं?

मांगें स्पष्ट – कार्रवाई हो, जवाबदेही तय हो

छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति के प्रदेशाध्यक्ष राधा कृष्ण गोपाल ने शासन को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि “दिव्यांग बच्चों के साथ हो रही यह घोर लापरवाही केवल शैक्षणिक नहीं, मानवीय अपराध है। जब दृष्टि और श्रवण बाधित छात्र शिक्षा के भरोसे सरकार के आश्रय में आते हैं, तब उनकी उपेक्षा केवल उनकी नहीं, पूरे समाज की अवहेलना है। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि दिव्यांगजनों को केवल योजना के आंकड़ों में नहीं, जमीन पर अधिकार मिलना चाहिए। तिफरा विद्यालय में जो कुछ हुआ, वह दिखाता है कि समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारी संवेदनहीनता की हदें पार कर चुके हैं। सरकार को जवाब देना होगा, आखिर क्यों अप्रैल से लेकर जुलाई तक दिव्यांग बच्चों को शिक्षा से वंचित रखा गया? क्यों एकमात्र शिक्षक को गैर-शैक्षणिक कार्यों में झोंका गया? और क्यों अब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई? हम चेतावनी देते हैं कि यदि जांच प्रारंभ कर दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो हम राज्यव्यापी आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। हम चुप नहीं बैठेंगे, ये हमारे बच्चों के भविष्य का प्रश्न है।”

यह सिर्फ एक विद्यालय का मामला नहीं, यह संवेदनाओं की हत्या और संविधान में प्रदत्त अधिकारों की अवहेलना है। अब समय आ गया है कि समाज कल्याण शब्द केवल नाम नहीं, कार्य में भी दिखे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!