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नैला स्टेशन रोड बना जलाशय, ड्रेनेज फेल, जिम्मेदार मौन!

नगरपालिका की लापरवाही से उफन पड़ी सड़कों पर जिंदगी बेहाल, व्यापार चौपट, मोहल्लेवासियों ने चेताया अब होगा आंदोलन

नैला स्टेशन रोड बना जलाशय, ड्रेनेज फेल, जिम्मेदार मौन!

नगरपालिका की लापरवाही से उफन पड़ी सड़कों पर जिंदगी बेहाल, व्यापार चौपट, मोहल्लेवासियों ने चेताया अब होगा आंदोलन

 

जांजगीर-चांपा। जिले के मुख्यालय में बारिश ने एक बार फिर नगर पालिका की नाकामी की पोल खोल दी है। नैला स्टेशन रोड क्षेत्र बुरी तरह जलभराव की चपेट में है, जहां सड़कें अब तालाब में तब्दील हो चुकी हैं। पानी का बहाव इतना अधिक है कि राह चलना मुश्किल हो गया है, वहीं कई घरों और दुकानों में गंदा पानी घुस गया है।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि हर साल यह समस्या होती है, लेकिन नगर पालिका के जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ कागज़ी कार्यवाही और झूठे आश्वासन तक सीमित रहते हैं। ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल हो चुका है, नालियों की साफ-सफाई नहीं हुई, और पानी निकासी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई।

परेशान नागरिकों ने बताया कि क्षेत्र में कई बार नाली निर्माण के लिए मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों ने भूमि पूजन किए, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ। पिछले वर्ष मोहल्लावासियों ने नगर पालिका का घेराव भी किया था, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात।

व्यापारी बोले – बरबादी की कगार पर हैं

स्टेशन रोड के व्यापारियों ने बताया कि जलभराव के चलते ग्राहक नहीं पहुंच पा रहे हैं, दुकानों में पानी घुस चुका है, जिससे माल खराब हो रहा है और कारोबार चौपट होने की कगार पर है। नगर पालिका से शिकायत करने पर केवल ‘देखते हैं’ का जवाब मिलता है।

मोहल्लावासियों की चेतावनी, अब होगा उग्र आंदोलन

निवासियों ने स्पष्ट किया है कि यदि जल्द से जल्द जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान नहीं किया गया, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि अब धैर्य की सीमा पार हो चुकी है।

प्रशासनिक चुप्पी पर उठ रहे सवाल

बारिश के शुरुआती दिनों में ही हालात इतने बदतर हैं, तो पूरे मानसून में स्थिति कितनी भयावह होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बावजूद इसके न तो नगरपालिका चेयरमैन सामने आ रहे हैं, न ही अधिकारी स्थल निरीक्षण के लिए पहुंचे हैं। यह आपदा नहीं, प्रशासनिक संवेदनहीनता का स्पष्ट उदाहरण है।

नैला स्टेशन रोड की यह स्थिति बताती है कि योजनाएं सिर्फ भाषणों और भूमिपूजन तक सीमित हैं। जनता त्रस्त है, लेकिन जिम्मेदार बेखबर। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह गुस्सा सड़कों पर फूटेगा और प्रशासन को इसका जवाब देना होगा।

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