राशन के लिए घंटों लाइन, सर्वर ठप, सिस्टम नाकाम, अफसर चुप, जनता त्रस्त
दो दिन से पानी में भीग रहे हैं लोग, लेकिन चावल नहीं मिल रहा, अफसर फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझते!

राशन के लिए घंटों लाइन, सर्वर ठप, सिस्टम नाकाम, अफसर चुप, जनता त्रस्त
दो दिन से पानी में भीग रहे हैं लोग, लेकिन चावल नहीं मिल रहा, अफसर फोन उठाना तक जरूरी नहीं समझते!
जांजगीर-चांपा। बरसात की बौछारें जब आमजन के घरों की छतें टपका रही हैं, उसी समय प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की “ई-गवर्नेंस” भी लगातार टपक रही है – फर्क बस इतना है कि छत से पानी टपकता है, और सिस्टम से भरोसा।
पिछले दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के बीच गरीब व जरूरतमंद नागरिक पीडीएस दुकानों पर राशन की आस में घंटों लाइन में खड़े हो रहे हैं। लेकिन अफसोस! सर्वर डाउन होने के कारण न अंगूठा स्कैन हो रहा, न चावल मिल रहा।

समस्या की जड़: ई-पीओएस मशीन और सर्वर का फेलियर
राशन वितरण के लिए इस्तेमाल की जा रही ई-पीओएस मशीनें सर्वर से कनेक्ट नहीं हो पा रही हैं।
अंगूठा 2 बार लगाओ, फिर भी सिस्टम बोले – “फेल!”
बुजुर्गों की उंगलियों के निशान मानों मशीन के लिए अदृश्य हो गए हैं।
कई उपभोक्ताओं को घंटों इंतजार के बाद भी बिना राशन लौटना पड़ा।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी दयनीय – खेत-काम छोड़कर आए लोग लाइन में खड़े, लेकिन हाथ खाली।
अफसर नदारद, फोन स्विच ऑन मगर इग्नोर मोड में!
आश्चर्यजनक बात यह है कि जब आमजन समस्या की जानकारी देने या समाधान पूछने अधिकारियों को कॉल करते हैं, तो न तो कोई जवाब मिलता है, न ही अफसर स्थिति का जायजा लेने आते हैं। लगता है सप्ताहांत की सुस्ती में अफसर जनता की परेशानी से अनजान बनना पसंद कर रहे हैं।
बुजुर्गों की बेबसी, मशीन को नहीं पहचानते उनके हाथ
सबसे ज्यादा मार झेल रहे हैं वृद्ध नागरिक, जिनके उंगलियों के निशान तकनीकी मशीनों को मान्य ही नहीं। मशीनें उनके लिए तकनीक नहीं, तकलीफ बन गई हैं। यहां ज़रूरत है संवेदनशीलता की, व विभाग के द्वारा तत्काल तकनीकी सर्वर ठीक करने के निर्णय की, ताकि भीगते, भूखे और थक चुके लोग कम से कम चावल लेकर घर लौट सकें। जब सिस्टम से ज्यादा समझदारी जनता दिखा रही हो, तब अफसरों की चुप्पी सत्ता की सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है।




