तालाब में नहाने गए अर्जुन की डूबने से मौत, अकलतरा ब्लॉक में 7 दिन में 3 मासूम बहे मौत की गहराई में
जिम्मेदार कौन? न तालाबों पर सुरक्षा, न मुनादी का असर, अकलतरा ब्लॉक बना डूबती जिंदगियों का कब्रगाह!

तालाब में नहाने गए अर्जुन की डूबने से मौत, अकलतरा ब्लॉक में 7 दिन में 3 मासूम बहे मौत की गहराई में
जिम्मेदार कौन? न तालाबों पर सुरक्षा, न मुनादी का असर, अकलतरा ब्लॉक बना डूबती जिंदगियों का कब्रगाह!
जांजगीर-चांपा : ग्राम पंचायत चंदनिया निवासी अर्जुन सिंह मौवार (17 वर्ष), पिता सरोज कुमार मौवार, रविवार सुबह रोज की तरह तालाब में नहाने गया था। लेकिन यह सुबह उसकी जिंदगी की आखिरी सुबह बन गई। अर्जुन को मिर्गी के दौरे पड़ते थे और उसी दौरान वह तालाब में डूब गया। जब तक लोग पहुंचते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, अर्जुन की सांसें पानी में ही थम गई थीं।
यह अकेला मामला नहीं है। अकलतरा ब्लॉक इन दिनों मासूमों की दर्दनाक मौतों का गवाह बनता जा रहा है। बीते एक सप्ताह में डूबने की यह तीसरी घटना है। दो दिन पहले ही ग्राम पंचायत बरगवां की एक बच्ची तालाब में डूबकर अपनी जान गंवा बैठी थी।
प्रशासन चेतावनी देता है, कार्रवाई नहीं
हर हादसे के बाद प्रशासन “चेतावनी बोर्ड लगाने” और “मुनादी कराने” की औपचारिकता निभाने की बातें करता है, परंतु जमीनी हकीकत क्या है?
कलेक्टर का बयान है कि “यदि स्कूल या आंगनबाड़ी तक जाने वाले रास्तों में कोई तालाब, नाला या जलभराव क्षेत्र स्थित हो, तो ग्रामवार चिन्हांकन कर चेतावनी बोर्ड लगाएं, ग्रामीणों को मुनादी से सतर्क करें।” मगर सवाल ये है कि क्या इन निर्देशों का पालन वास्तव में हो रहा है? या फिर ये केवल कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह गए हैं?
परिजन लापरवाह, प्रशासन निष्क्रिय!
एक तरफ ग्रामीण इलाकों में माता-पिता बच्चों को बिना देखरेख के तालाबों में जाने दे रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रशासन गंभीर कदम उठाने के बजाय सिर्फ ‘घटनाओं के बाद’ निर्देश देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी मान ले रहा है।
कब जागेगा सिस्टम?
कितने मासूमों की जान के बाद चेतावनी बोर्ड सही जगह लगेंगे?
कब मुनादी केवल रिकॉर्ड की खानापूर्ति नहीं, जिम्मेदार जागरूकता का माध्यम बनेगी?
क्या अर्जुन सिंह मौवार की मौत किसी को झकझोरेगी?
जब तक प्रशासन, ग्रामीण और पंचायत, तीनों जागरूकता और जिम्मेदारी नहीं अपनाते, ऐसी दर्दनाक घटनाएं “नियति” नहीं बल्कि “लापरवाही की सजा” बनती रहेंगी।




