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“13वें दिन भी ठप स्वास्थ्य सेवाएं: एनएचएम कर्मियों का आंदोलन उफान पर, पीपीई किट पहनकर किया पैदल मार्च”

“जनता की जान पर संकट, सरकार से सिर्फ आश्वासन; SNCU और आपात सेवाएं ठप”

“13वें दिन भी ठप स्वास्थ्य सेवाएं: एनएचएम कर्मियों का आंदोलन उफान पर, पीपीई किट पहनकर किया पैदल मार्च”

“जनता की जान पर संकट, सरकार से सिर्फ आश्वासन; SNCU और आपात सेवाएं ठप”

 

जांजगीर-चांपा। नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) के संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल शनिवार को 13वें दिन भी जारी रही, जिससे जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल हो गया है। SNCU, आपातकालीन सेवाएं और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र तक ठप हैं। मरीजों की जान पर संकट मंडराते हुए भी सरकार की ओर से अब तक सिर्फ आश्वासन मिला है, कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

शनिवार को हड़ताली कर्मियों ने पीपीई किट पहनकर हॉकी मैदान से कचहरी चौक तक पैदल मार्च निकाला। नारेबाजी के बीच कर्मियों का कहना था कि वे कोरोना काल जैसी परिस्थितियों में पीपीई पहनकर मरीजों की जान बचाते रहे, लेकिन अब 20 साल से संविलियन, बीमा-पेंशन और अनुकंपा नियुक्ति जैसी बुनियादी मांगें पूरी कराने के लिए मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।

कर्मचारियों की पीड़ा: पड़ोसी राज्यों से तुलना

एनएचएम कर्मियों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में संविदा कर्मचारियों को नियमितीकरण, समान वेतन और अन्य सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में उनकी मांगों पर 20 साल से ध्यान नहीं दिया जा रहा।

उमा वर्मा, स्टाफ नर्स, जिला चिकित्सालय जांजगीर-चांपा – “हम मरीजों की जान बचाने के लिए हर हाल में डटे रहे। कोविड काल में मौत के साए में काम किया। लेकिन सरकार ने हमें सिर्फ वादों से बहलाया। आज मजबूर होकर सड़कों पर उतरना पड़ा है।”

NHM कर्मचारी – “हम सिर्फ संविलियन, बीमा-पेंशन और अनुकंपा नियुक्ति जैसी न्यूनतम सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। अगर यह मांगें पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन और उग्र होगा।”

जनता परेशान, स्वास्थ्य तंत्र अस्त-व्यस्त

अस्पतालों में मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है। गर्भवती महिलाओं, गंभीर मरीजों और नवजात बच्चों के इलाज पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। संविदा कर्मियों का कहना है कि वे बिना मांग पूरी किए काम पर लौटने वाले नहीं हैं।

सरकार पर सवाल

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या शासन-प्रशासन जनता की सेहत से खिलवाड़ बंद कर कर्मचारियों की जायज मांगों पर ठोस कदम उठाएगा, या फिर यह आंदोलन और लंबा खिंचेगा?

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