
फ़र्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी हथियाई, जांच में खुली पोल, सेवा से बर्खास्त
स्वास्थ्य विभाग की जांच में दिव्यांगता प्रमाण पत्र निकला फर्जी, नियुक्ति रद्द कर आरोपी को तुरंत बाहर का रास्ता
बिलासपुर/जांजगीर-चांपा। स्वास्थ्य विभाग में फ़र्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने का मामला सामने आया है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम कोटिया निवासी सामंतक कुमार टंडन, पदस्थ नेत्र सहायक अधिकारी, ने कथित तौर पर फ़र्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र लगाकर सीधी भर्ती में नियुक्ति पाई। उच्च अधिकारियों की जांच में यह गड़बड़ी साबित हुई, जिसके बाद विभाग ने तत्काल प्रभाव से उनकी सेवा समाप्त कर दी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान सामंतक टंडन ने श्रवण बाधित होने का दावा करते हुए दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। इस पर संदेह होने पर शिकायत दर्ज हुई और मामले की जांच का जिम्मा संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, बिलासपुर को सौंपा गया।

जांच में हुआ खुलासा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बिलासपुर द्वारा सामंतक टंडन को छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) के संभागीय मेडिकल बोर्ड से पुनः परीक्षण के लिए भेजा गया। मेडिकल रिपोर्ट में उनकी सुनने की क्षमता पूरी तरह सामान्य पाई गई, जिससे दिव्यांगता प्रमाण पत्र की सच्चाई सामने आ गई।
नियुक्ति शर्तों का उल्लंघन
नियुक्ति आदेश की शर्तों में स्पष्ट था कि सभी प्रस्तुत दस्तावेज सही पाए जाने चाहिए, अन्यथा नियुक्ति तुरंत रद्द की जाएगी। साथ ही उम्मीदवार को शपथ पत्र भी देना था कि प्रमाण पत्र असत्य पाए जाने पर जिम्मेदारी स्वयं की होगी।

सेवा समाप्त, कानूनी कार्रवाई के संकेत
संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं, बिलासपुर डॉ. स्वाति वंदना सिसोदिया ने आदेश जारी करते हुए सामंतक टंडन को सेवा से बर्खास्त कर दिया। आदेश में कहा गया कि यह कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 और वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियम 1966 का उल्लंघन है, जो भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, मामले में आगे कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है ताकि भविष्य में सरकारी भर्ती में ऐसे फर्जीवाड़े पर लगाम लगाई जा सके।




