मानदेय वृद्धि व शासकीय कर्मचारी दर्जे की मांग पर अड़ीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं, प्रदेश के साथ जांजगीर में भी हजारों ने दिया धरना
50 वर्षों से महिलाओं-बच्चों की देखभाल में जुटी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं ने काम के बोझ व कम मानदेय पर जताया रोष, 1 सितम्बर को प्रांतव्यापी आंदोलन की चेतावनी

मानदेय वृद्धि व शासकीय कर्मचारी दर्जे की मांग पर अड़ीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाएं, प्रदेश के साथ जांजगीर में भी हजारों ने दिया धरना
50 वर्षों से महिलाओं-बच्चों की देखभाल में जुटी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिकाओं ने काम के बोझ व कम मानदेय पर जताया रोष, 1 सितम्बर को प्रांतव्यापी आंदोलन की चेतावनी
जांजगीर-चांपा/रायपुर। छत्तीसगढ़ की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिकाएं आज 13 अगस्त को अपने 1 सूत्रीय प्रमुख मांग और अन्य मांगों को लेकर पूरे प्रदेश में एकदिवसीय ध्यानाकर्षण धरना पर बैठी हैं। राजधानी रायपुर से लेकर सभी जिलों व विकासखंड मुख्यालयों में हजारों की संख्या में महिलाएं हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर नारे लगा रही हैं।
जांजगीर-चांपा जिले में जिला मुख्यालय जांजगीर के हॉकी मैदान में हजारों की संख्या में महिलाएं उमस भरे मौसम में भी डटी हुई हैं। इनकी सबसे बड़ी मांग है, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को ₹10,000 और सहायिकाओं को ₹5,000 के मौजूदा मानदेय के स्थान पर जीवनयापन योग्य वेतन, साथ ही शासकीय कर्मचारी का दर्जा।

आंदोलनकारी महिलाओं ने बताया कि वर्ष 1975 से महिला एवं बाल विकास विभाग के अधीन काम करते हुए वे गर्भवती महिलाओं की देखभाल, बच्चों का पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जागरूकता, कुपोषण उन्मूलन से लेकर विभिन्न सरकारी योजनाओं के प्रचार-प्रसार तक 16 से अधिक योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही हैं। इसके अलावा उन्हें अन्य विभागों के कार्य — जैसे राशन कार्ड बनवाना, जनगणना, चुनावी कार्य, स्वास्थ्य सर्वे, पल्स पोलियो अभियान, बीएलओ का काम, स्वच्छता सर्वेक्षण आदि भी करने पड़ते हैं।
धरने में शामिल कार्यकर्ताओं ने कहा कि काम का समय पहले 4 घंटे था, लेकिन अब 6 घंटे कर दिया गया है, जबकि कई बार 8-10 घंटे भी काम करना पड़ता है। इसके बावजूद न तो कलेक्टर दर के अनुसार भुगतान हो रहा है और न ही उन्हें किसी श्रेणी का शासकीय दर्जा मिला है।

छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की पदाधिकारियों ने बताया कि पड़ोसी राज्य पुदुचेरी में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को तृतीय श्रेणी और सहायिका को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी घोषित कर वेतन दिया जा रहा है, जबकि छत्तीसगढ़ में 50 वर्षों से सेवा दे रही महिलाओं को आज भी दयनीय मानदेय पर गुजारा करना पड़ रहा है।
महिलाओं ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस बार भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो 1 सितम्बर 2025 को प्रदेशभर की लाखों कार्यकर्ता-सहायिकाएं राजधानी में प्रांतव्यापी धरना देंगी।
धरना स्थलों पर “हमारा हक दो, मानदेय बढ़ाओ” और “शासकीय कर्मचारी का दर्जा दो” जैसे नारों से माहौल गूंज रहा है। उमस भरे मौसम में भी महिलाएं डटी हुई हैं, जिससे उनके जज्बे और आक्रोश का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है।




