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19 सितम्बर को डीईओ अतिथि बनेंगे शिक्षक संगठन के कार्यक्रम में, बच्चों की पढ़ाई रहेगी ठप

शासन ने प्रशिक्षण रोका, पर सम्मान समारोह में शिक्षकों का जमावड़ा, शिक्षा के नाम पर राजनीति, छात्र भविष्य के साथ खिलवाड़

19 सितम्बर को डीईओ अतिथि बनेंगे शिक्षक संगठन के कार्यक्रम में, बच्चों की पढ़ाई रहेगी ठप

शासन ने प्रशिक्षण रोका, पर सम्मान समारोह में शिक्षकों का जमावड़ा, शिक्षा के नाम पर राजनीति, छात्र भविष्य के साथ खिलवाड़

 

जांजगीर-चांपा। शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताने वाला शासन अब खुद दोहरे मापदंड अपनाने में जुटा है। एक ओर पूरे छत्तीसगढ़ में शासन ने शिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर रोक लगा दी थी, यह कहते हुए कि प्रशिक्षण में शिक्षकों के जाने से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। वहीं दूसरी ओर आगामी 19 सितम्बर को छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक/समग्र शिक्षक फेडरेशन इकाई-बलोदा के तत्वावधान में माँ अन्नधरी पहरिया पाठ प्रांगण पहरिया में आयोजित होने वाले समारोह में स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को अतिथि बनाकर बुलाया जा रहा है।

यह कार्यक्रम “सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन शिक्षा रत्न सम्मान” के नाम पर आयोजित किया जाएगा, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षकों को एकत्रित किया जाएगा। इस दौरान कई अधिकारियों और पदाधिकारियों को मंचासीन कर सम्मानित किया जाएगा।

शिक्षा की दुहाई लेकिन बच्चों से बेरुखी

शासन की नीति के मुताबिक बच्चों की पढ़ाई में किसी भी प्रकार का व्यवधान स्वीकार्य नहीं है। लेकिन हकीकत यह है कि पढ़ाई छोड़कर शिक्षक घंटों तक समारोह स्थल पर जुटेंगे और स्कूलों में बच्चे अध्यापकों का इंतजार करते रह जाएंगे।

जिम्मेदारों पर सवाल

जब शासन ने प्रशिक्षण जैसे जरूरी शैक्षणिक कार्यक्रमों तक पर रोक लगा दी थी तो सवाल उठता है कि ऐसे भव्य आयोजनों की अनुमति क्यों? और जब खुद जिला शिक्षा अधिकारी इसमें अतिथि बनकर शामिल होंगे, तो क्या यह शासन की मंशा के खिलाफ नहीं है?

जनता की नाराजगी

शिक्षा प्रेमियों और अभिभावकों का कहना है कि यह दोहरा रवैया बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। शासन और शिक्षक संगठन दोनों को यह समझना चाहिए कि बच्चों की पढ़ाई सबसे पहली प्राथमिकता है। सम्मान समारोह बाद में भी हो सकता है, लेकिन बच्चों के खोए हुए दिन वापस नहीं आ सकते।

अब देखने वाली बात यह होगी कि 19 सितम्बर को होने वाले इस आयोजन में शासन की गंभीरता शिक्षा बचाने में दिखती है या सिर्फ मंच सजाने में।

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