जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान पर उठे सवाल, नियमों की धज्जियां उड़ाकर बंटे पुरस्कार
ईमानदार शिक्षकों में गुस्सा

जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान पर उठे सवाल, नियमों की धज्जियां उड़ाकर बंटे पुरस्कार
ईमानदार शिक्षकों में गुस्सा
जांजगीर-चांपा। शिक्षक दिवस पर दिए जाने वाले जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान इस बार खुद सवालों के घेरे में है। सम्मान की सूची जारी होते ही शिक्षकों में भारी नाराजगी है। जिन शिक्षकों ने पूरी ईमानदारी से शिक्षा को अपना धर्म मानकर सेवा की, उन्हें दरकिनार कर ऐसे नामों को सम्मान सूची में शामिल किया गया है, जो कहीं से भी इस सम्मान के योग्य नहीं ठहरते।
शिक्षकों के बताए अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा तय किए गए नियम साफ-साफ कहते हैं कि –
स्कूल में नियमित उपस्थिति रखने वाले और शिक्षण कार्य में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों का चयन किया जाएगा।
पहले से राज्य स्तरीय सम्मान प्राप्त कर चुके शिक्षकों को पुनः जिला स्तर का सम्मान नहीं दिया जाएगा।
किसी शिक्षक संगठन से जुड़े पदाधिकारियों को सम्मान की पात्रता से बाहर रखा जाएगा।
लेकिन इस बार की चयन प्रक्रिया में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई हैं। सूची में शामिल कुछ नाम ऐसे हैं जिनकी स्कूल में उपस्थिति ही सवालों के घेरे में रहती है, कुछ ऐसे हैं जो पहले ही राज्यपाल स्तर का सम्मान ले चुके हैं, और कुछ संगठन के पदाधिकारी भी हैं जिन्हें नियमों के मुताबिक पुरस्कार नहीं दिया जाना चाहिए था।
शिक्षकों का कहना है कि यह सम्मान मेहनती और ईमानदार शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत होना चाहिए था, लेकिन इस बार यह पूरे सम्मान को ही संदेहास्पद और विवादित बना बैठा है। कई शिक्षकों ने यह तक कहा कि इस चयन प्रक्रिया में पक्षपात और मिलीभगत साफ झलक रही है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि ऐसे नामों को चुनकर जिला कलेक्टर के हाथों सम्मान दिलवाया गया, जिससे कलेक्टर तक को गुमराह किया गया।
शिक्षकों का आक्रोश है कि अगर नियमों को तोड़कर ऐसे ही पुरस्कार बांटे जाएंगे तो न केवल मेहनती शिक्षकों का मनोबल टूटेगा बल्कि शिक्षकीय सम्मान की गरिमा भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी।
अब सवाल यह है कि क्या शिक्षा विभाग इस पर संज्ञान लेकर जांच करेगा या यह मामला भी हमेशा की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?




