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प्रतिवादी अधिकारियों के साथ उठ-बैठ रहे सत्ताधारी नेता लोकेश कावड़िया सवालों के घेरे में

1000 करोड़ की अनियमितताओं पर कसा शिकंजा

प्रतिवादी अधिकारियों के साथ उठ-बैठ रहे सत्ताधारी नेता लोकेश कावड़िया सवालों के घेरे में

हाईकोर्ट ने कहा– दिव्यांग कल्याण में “सिस्टमेटिक करप्शन”, CBI जांच के आदेश

1000 करोड़ की अनियमितताओं पर कसा शिकंजा,

 

रायपुर। दिव्यांग कल्याण के नाम पर 1000 करोड़ रुपए से अधिक की गड़बड़ियों के मामले को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गंभीर मानते हुए CBI जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने इसे “सिस्टमेटिक करप्शन” करार देते हुए साफ कहा कि यह केवल प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि इसमें वरिष्ठ अधिकारियों की भी भूमिका रही है।

SRC और PRRC पर सवाल

विशेष ऑडिट रिपोर्ट में SRC (स्टेट रिसोर्स सेंटर) और PRRC के संचालन में 31 गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख किया गया—नकद भुगतानों में गड़बड़ी, फर्जी नियुक्तियां, वेतन का दुरुपयोग और कृत्रिम अंगों की आपूर्ति में घोटाले जैसे मामले सामने आए। इन संस्थाओं का संचालन देखने वाले कई प्रतिवादियों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और CBI जांच की सिफारिश की गई है। प्रतिवादी क्रमांक 22 के रूप में सूचीबद्ध राजेश तिवारी का नाम भी इन्हीं दस्तावेजों में है, हालांकि अदालत ने उन्हें सीधे तौर पर आरोपी घोषित नहीं किया है।

न्यायालय का निष्कर्ष

हाईकोर्ट ने अपने आदेश (23 सितंबर 2025) में कहा कि अब तक की जांच अधूरी रही और “प्रभावशाली अधिकारियों” की मौजूदगी से जांच प्रभावित होने का खतरा है। इसलिए अदालत ने पहले से दर्ज FIR (5.2.2020) पर CBI को निष्पक्ष जांच पूरी करने के निर्देश दिए हैं।

सत्ता की नज़दीकियाँ और उठते सवाल

मगर इस बीच, जिन प्रतिवादियों पर विभागीय और CBI जांच लंबित है, उनके साथ सत्ताधारी नेताओं की नज़दीकियाँ सवाल खड़े कर रही हैं। प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लोकेश कावड़िया का नाम हाल में ऐसे ही एक प्रतिवादी अधिकारी राजेश तिवारी के साथ सार्वजनिक मंचों पर दिखने से राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज़ हो गई है।

“जीरो टॉलरेंस” बनाम हकीकत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति की बात करते हैं। लेकिन प्रदेश में सत्ता से जुड़े चेहरे उन्हीं लोगों के साथ उठते-बैठते नजर आ रहे हैं जिनके खिलाफ हाईकोर्ट ने विभागीय कार्रवाई और CBI जांच की ज़रूरत मानी है। यही वजह है कि विपक्ष सवाल उठा रहा है—क्या यही है “जीरो टॉलरेंस” की असलियत?

CBI जांच आदेश की मुख्य बातें

1000 करोड़ का घोटाला : दिव्यांग कल्याण योजनाओं में 31 वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा।

प्रतिवादी 15 से 26 पर कार्यवाही : विभागीय जांच और CBI जांच दोनों की सिफारिश।
SRC–PRRC पर निशाना :

नकद भुगतान, फर्जी नियुक्तियां और कृत्रिम अंग खरीद में गड़बड़ियाँ।

राजेश तिवारी प्रतिवादी क्रमांक 22 : सीधे “आरोपी” नहीं, लेकिन जांच के दायरे में शामिल।

निष्पक्ष जांच ज़रूरी : हाईकोर्ट ने कहा– “प्रभावशाली अधिकारी जांच प्रभावित कर सकते हैं।”

CBI को आदेश : पहले से दर्ज FIR (5.2.2020) पर आगे कार्रवाई और सभी रिकॉर्ड जब्ती।

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