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दिव्यांगों की आवाज़ दबाने पर आमादा शासन, पूर्व अध्यक्ष की हरकतों से आंदोलन को नुकसान, छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने खोल दी पोल

धरना स्थल खुद सरकार ने तय किया, अब उसी पर दो माह का प्रतिबंध… लोकतंत्र की हत्या या दिव्यांगों की आवाज़ से डर?

दिव्यांगों की आवाज़ दबाने पर आमादा शासन, पूर्व अध्यक्ष की हरकतों से आंदोलन को नुकसान, छत्तीसगढ़ दिव्यांग संघ ने खोल दी पोल

धरना स्थल खुद सरकार ने तय किया, अब उसी पर दो माह का प्रतिबंध… लोकतंत्र की हत्या या दिव्यांगों की आवाज़ से डर?

रायपुर। छत्तीसगढ़ में दिव्यांगों के महा आंदोलन को रोकने और उनकी आवाज़ को कुचलने की मंशा एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है। छह सूत्रीय मांगों को लेकर दिव्यांग संघ द्वारा 26 मार्च से पहले मरीन ड्राइव से स्वाभिमान यात्रा शुरू की गई थी, जिसे शासन ने आधे रास्ते में रोककर प्रदर्शनकारियों को मरीन ड्राइव में ही बंधक बनाकर 5 दिन तक बैठाए रखा और फिर आधी रात के अंधेरे में जबरन उठाकर तूता धरना स्थल में पटक दिया गया। यही नहीं, उसी समय शासन ने कहा था कि “पूरा रायपुर में यही अधिकृत धरना स्थल है, यहीं बैठकर आंदोलन कीजिए।”

लेकिन अब जब आंदोलन ने रफ्तार पकड़नी शुरू की और दिव्यांग समुदाय एकजुट होकर फिर से आगे बढ़ रहा है तो शासन ने तुगलकी फरमान जारी कर दिया कि आगामी दो माह तक किसी भी प्रकार का धरना-आन्दोलन रायपुर में नहीं किया जा सकेगा। सवाल यह है कि जब स्वयं शासन दिव्यांगों को ‘यही अधिकृत धरना स्थल’ कहकर तूता में बैठाया था तो अब अचानक उसी धरना स्थल को बंद कर देना किस कानून के तहत है? यह वही स्थिति है जिसे दिव्यांगजन लोकतंत्र की घोर हत्या और शासन की हिटलरी मानसिकता का जीता-जागता उदाहरण बता रहे हैं।

पूर्व अध्यक्ष की हरकतों से आंदोलन को नुकसान

इधर एक तरफ शासन दिव्यांगों के आंदोलन को रोकने में लगा है, तो दूसरी तरफ संघ के ही पूर्व अध्यक्ष बोहितराम चंद्राकर आंदोलन को भीतर से कमजोर करने में जुटे हैं। संघ सदस्यों ने बताया कि संघ के सदस्यों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के जरिए पद से हटाए जाने के बाद भी वे अपनी मनमानी छोड़ने तैयार नहीं हैं। पद पर रहते हुए बाहरी व्यक्तियों से आर्थिक सहयोग ‘अपने निजी खाते के क्यूआर कोड’ के माध्यम से लेने का मामला सामने आया था, जिसका हिसाब आज तक नहीं दिया गया, यही कारण उनका पदच्युत होना बना। अब जब पुनः बड़े आंदोलन का दौर शुरू हुआ है, तो संघ के लिए दिया जा रहा आर्थिक सहयोग गलती से पूर्व अध्यक्ष के पुराने क्यूआर कोड में जा रहा है, जिसे वापस मांगने पर न तो वे फोन उठा रहे हैं और न ही पैसे लौटा रहे हैं। यानी संघ के नाम पर चंदा, लेकिन उपयोग व्यक्तिगत खाता, यह गंभीर आरोप फिर से खड़ा हो गया है।

वर्तमान अध्यक्ष संतोष टोंडे की अपील

छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के वर्तमान अध्यक्ष संतोष टोंडे ने स्पष्ट अपील करते हुए कहा है कि
कोई भी आर्थिक सहयोग करने से पहले संघ के नवनियुक्त पदाधिकारियों (अध्यक्ष/सचिव) से चर्चा अवश्य करें और केवल नए क्यूआर कोड के माध्यम से ही सहायता राशि दें। पुराने क्यूआर कोड पर भेजा गया पैसा न तो संघ के संघर्ष में लगेगा और न ही वापस मिल पाने की कोई गारंटी है। वर्तमान समिति ने आश्वस्त किया है कि एक-एक रुपये का रोजाना हिसाब, पूरी पारदर्शिता के साथ सभी सदस्यों को उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि आंदोलन की विश्वसनीयता और ताकत दोनों बरकरार रहे।

सचिव माला पांडेय की बड़ी अपील, 29 अक्टूबर को ‘महानदी घेराव’ में उमड़े दिव्यांगजन

इस बीच संघ की सचिव माला पांडेय ने प्रदेश भर के दिव्यांगजनों से ‘29 अक्टूबर को रायपुर में होने वाले महानदी घेराव’ में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने की भावुक अपील की है। उन्होंने कहा “यह लड़ाई किसी एक संगठन या एक व्यक्ति की नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के दिव्यांग समुदाय के स्वाभिमान और अधिकारों की लड़ाई है। शासन तभी सुनता है, जब संख्या दमदार हो। इसलिए हर गांव, हर शहर से दिव्यांगजन बड़ी संख्या में रायपुर पहुंचें और आंदोलन को ऐतिहासिक बनाएं।”

माला पांडेय ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस अन्याय का सामना आज तूता धरना स्थल, रायपुर के दिव्यांग कर रहे हैं, कल वही अन्याय पूरे प्रदेश के दिव्यांग समाज पर थोप दिया जाएगा, यदि अभी प्रतिरोध न किया गया।

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