
दिव्यांगों की एकजुटता से मिली बड़ी जीत, तीन मांगें हुईं पूरी, बाकी पर 6 नवंबर को मुख्यमंत्री से निर्णायक बैठक
24.10 करोड़ की ऋण माफी पर भी खुला रास्ता, बैकलॉग भर्ती व 3% पदोन्नति आरक्षण को मंजूरी
रायपुर। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के सतत संघर्ष और प्रदेशभर के दिव्यांगजनों की अटूट एकता ने आखिरकार रंग दिखाया है। 29 अक्टूबर की शाम सामान्य प्रशासन विभाग और समाज कल्याण सचिव के साथ हुई सार्थक चर्चा के बाद शासन ने दिव्यांगजनों की तीन प्रमुख मांगों को स्वीकार कर लिया है। संघ की छह सूत्रीय मांगों में अब केवल तीन मुद्दे शेष हैं, जिन पर 6 नवंबर को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और समाज कल्याण मंत्री के साथ निर्णायक चर्चा होगी।

तीन मांगों पर बनी सहमति
संघ की ओर से प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार टोंडे के नेतृत्व में गए प्रतिनिधिमंडल में राधा कृष्ण गोपाल, डोमन बया और माला पांडेय शामिल थे। इनके ठोस तर्कों और सतत संवाद के बाद शासन ने निम्नलिखित तीन मांगों को स्वीकार किया —
दिव्यांग ऋण माफी योजना: कोरोना पूर्व के ऋण माफ करने हेतु केंद्र सरकार को दिए जाने वाले 24.10 करोड़ रुपये की राशि को सितंबर 2024 में दिव्यांग जनों की मांग पूरा करने शासन को दिए प्रस्ताव में समाज कल्याण संचालक ने बाधा बताया था। अब छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल ने केबिनेट बैठक में इस राशि को केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने हेतु स्वीकृति दे दी है। इससे दिव्यांग ऋण माफी का रास्ता लगभग साफ हो गया है। केवल निर्देश आना बाकी है।
दिव्यांग पदों पर बैकलॉग भर्ती को मंजूरी
पदोन्नति में 3% आरक्षण लागू करने पर सहमतिअब तीन मांगों पर होगी निर्णायक वार्ता
अब भी तीन बड़ी मांगें लंबित हैं, जिन पर 6 नवंबर को मुख्यमंत्री से निर्णायक बैठक होगी —
दिव्यांगजनों को 5000 रुपये मासिक पेंशन
फर्जी दिव्यांगों पर सख्त कार्रवाई
अविवाहित दिव्यांग महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ
“यह हर दिव्यांग की जीत है” — अध्यक्ष टोंडे
प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार टोंडे ने कहा — “यह उपलब्धि पूरे छत्तीसगढ़ के दिव्यांग समाज की जीत है। तीन मांगें पूरी हुई हैं, बाकी दो पर 6 नवंबर को निर्णायक चर्चा होगी। यह आंदोलन किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि हर उस दिव्यांग की आवाज है जो न्याय की उम्मीद रखता है।”

“पेंशन लागू होने तक संघर्ष जारी रहेगा” — रामलाल साहू
संघ के प्रदेश संयोजक रामलाल साहू ने कहा — “मुख्य मुद्दा पेंशन का है। सीमित संसाधनों वाले और कम पढ़े-लिखे कई दिव्यांग साथी इस आंदोलन की रीढ़ बने। जब तक 5000 रुपये की मासिक पेंशन लागू नहीं होती और बीपीएल की अनिवार्यता खत्म नहीं की जाती, हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”
“तीन मांगों पर सहमति, तीन पर सकारात्मक चर्चा” — माला पांडेय
प्रदेश सचिव माला पांडेय ने बताया —
“हमारी छह सूत्रीय मांगों में से तीन पर सहमति बन चुकी है और तीन पर सकारात्मक चर्चा जारी है। यह दिव्यांग समाज की सामूहिक चेतना और एकता की मिसाल है।”
“आत्मनिर्भर व प्रेरणा बनेंगे दिव्यांग-दिलीप कुमार”
प्रदेश उपाध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि विशेष भर्ती आदेश से पढ़े-लिखे दिव्यांगजनों के लिए सरकारी नौकरी का रास्ता दोबारा खुल गया है। यह निर्णय उन अवसरों को फिर से जीवित करेगा जो वर्षों से बंद पड़े थे। अब दिव्यांगजन न केवल आत्मनिर्भर बन सकेंगे, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा और सशक्तिकरण का स्रोत भी बनेंगे।
“शेष मांगों की पूर्ति तक चलेगा संघर्ष – ममता ठाकुर”
प्रदेश महिला संयोजक ममता ठाकुर ने 29 अक्टूबर के महाआंदोलन में शामिल सभी क्रांतिकारी दिव्यांग साथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आंदोलन में दिव्यांगजनों की अभूतपूर्व एकता और साहस ने नई ऊर्जा दी है। ममता ठाकुर ने स्पष्ट किया कि शेष मांगों की पूर्ति तक संघर्ष निरंतर जारी रहेगा और यह लड़ाई सम्मान व अधिकारों की प्राप्ति तक रुकेगी नहीं।
पूर्व अध्यक्ष बोहितराम पर आर्थिक अनियमितता के आरोप
संघ के अंदरूनी मामलों को लेकर पूर्व अध्यक्ष बोहितराम चंद्राकर पर आर्थिक अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। संघ पदाधिकारियों ने कहा — “बोहितराम चंद्राकर अब तक किसी भी आर्थिक लेनदेन का हिसाब नहीं दे पाए हैं। न तो वे आंदोलन में सक्रिय रहे और न ही अपने क्षेत्र से किसी दिव्यांग साथी को आंदोलन में जोड़ा। इसके बावजूद वे इस सफलता का श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे संगठन में उनकी साख कमजोर हुई है।”
6 नवंबर को उम्मीद भरी नजरें मुख्यमंत्री पर
संघ पदाधिकारियों ने कहा कि दिव्यांगों की यह जीत एकजुटता, साहस और सत्यनिष्ठा की मिसाल है। अब सबकी नजरें 6 नवंबर की बैठक पर टिकी हैं, जहाँ शेष मांगों पर ऐतिहासिक निर्णय की उम्मीद की जा रही है।




