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हिंडाल्को ने ‘ताना-बाना’ समारोह में कोसा बुनकरों को किया सम्मानित

कोसा सिल्क बुनाई की प्राचीन कला को सहेजने और सशक्त आजीविका की दिशा में बड़ा कदम

हिंडाल्को ने ‘ताना-बाना’ समारोह में कोसा बुनकरों को किया सम्मानित

कोसा सिल्क बुनाई की प्राचीन कला को सहेजने और सशक्त आजीविका की दिशा में बड़ा कदम

 

जांजगीर-चांपा। “कोसला हमारे जीवन की मां जैसी है, जिसने हमें आत्मनिर्भर बनाया।” यह कहना है कोसा बुनकर खुदी राम देवांगन का, जो पिछले दो वर्षों से कोसला आजीविका एवं सामाजिक फाउंडेशन से जुड़े हैं।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज की सामाजिक पहल ‘कोसला’ द्वारा कोसा सिल्क की पारंपरिक बुनाई को नई दिशा देने और बुनकरों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को चांपा में आयोजित ‘ताना-बाना सम्मान समारोह’ में क्षेत्र की 24 महिला बुनकरों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक सतीश पाई, सीईओ (स्पेशियलिटी एल्युमिना एंड केमिकल्स) एवं निदेशक – कोसला सौरभ खेड़ेकर, और बिजनेस हेड कैलाश पांडे ने सम्मान पत्र और प्रतीक चिन्ह भेंट किए।

“कोसा बुनाई को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का संकल्प” — सतीश पाई

समारोह में अपने संबोधन में श्री पाई ने कहा,“हिंडाल्को का उद्देश्य कोसला को एक अंतरराष्ट्रीय पहचान देना है। जब मैंने पहली बार रायगढ़ में कोसा बुनाई देखी थी, तभी यह तय किया था कि इस कला को हमें पुनर्जीवित कर विश्व पटल पर पहुंचाना है। हमारा प्रयास है कि यह परंपरा एक सशक्त व्यवसाय के रूप में अपने पैरों पर खड़ी हो।”

“हम आपको परिवार की तरह मानते हैं” — सौरभ खेड़ेकर

कोसला के निदेशक श्री सौरभ खेड़ेकर ने कहा,“हम पारंपरिक शिल्प को जीवित रखने और इसे मानवीय, न्यायसंगत एवं पर्यावरणीय रूप से संतुलित रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोसला का उद्देश्य कारीगरों के लिए आर्थिक अवसरों का सृजन और उन्हें वैश्विक मंच प्रदान करना है।”

उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ की कोसा सिल्क साड़ियां, दुपट्टे और स्टोल आज न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी कलात्मकता और गुणवत्ता के लिए सराही जा रही हैं।

कला, संस्कृति और सशक्तिकरण का संगम

समारोह की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम में कोसा बुनकरों, रंगरेज़ों और धागा निर्माताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
रायगढ़ घराने की प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना निहारिका यादव ने अपने मनमोहक प्रदर्शन से कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। उनके नृत्य ने कोसा बुनाई के सांस्कृतिक महत्व को खूबसूरती से प्रस्तुत किया।

“ताना-बाना हमारे शिल्प का उत्सव है” — नीता शाह

कोसला की सीईओ नीता शाह ने कहा,
“ताना-बाना समारोह हमारे कारीगरों के अथक परिश्रम और समर्पण का उत्सव है। यह आयोजन उनकी कला को सम्मान देने और समाज में उनकी अहम भूमिका को रेखांकित करने का प्रयास है।”

सरकारी प्रतिनिधियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में राज्य रेशम उत्पादन विभाग, चांपा के सहायक संचालक मधु कुमार चंदन तथा बुनकर सेवा केंद्र रायगढ़ के सहायक निदेशक विजय सवनेकर सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

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