
जांजगीर की जर्जर सड़कों पर कांग्रेस का हल्ला बोल, कलेक्टोरेट का घेराव
“जनता हादसों से जूझ रही है और प्रशासन टेंडर फाइलों में उलझा बैठा है”, कांग्रेस की कड़ी चेतावनी
जांजगीर-चांपा। जिले में जगह-जगह जर्जर पड़ी सड़कों और अधूरे विकास कार्यों के विरोध में शुक्रवार को जिला कांग्रेस कमेटी ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर जोरदार प्रदर्शन किया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि डोंगा-कोहरौद से लाहौद रोड, शिवरीनारायण-खैरताल मार्ग और ढाबाडीह-कोशिर के बीच लीलागर नदी पर पुल निर्माण जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं वर्षों से लंबित हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शन में तीनों विधानसभा क्षेत्रों के सैकड़ों कार्यकर्ता व नागरिक शामिल हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि बरसात समाप्त हुए महीनों बीत गए, लेकिन सड़क मरम्मत और पुल निर्माण की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की गई।

“जनता मजबूर, कांग्रेस सड़कों पर”
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हालात इतने खराब हो चुके हैं कि स्कूली बच्चों, मरीजों और आमजनों की आवाजाही भी बाधित हो रही है। एम्बुलेंस तक ग्रामीण इलाकों में फंस जाती है। “जनता त्रस्त है और प्रशासन मस्त” यही आरोप विरोध प्रदर्शन के दौरान बार-बार गूंजता रहा।

कांग्रेस विधायकों के तीखे बयान
जांजगीर विधायक ब्यास कश्यप ने कहा —“जब से भाजपा की विष्णुदेव साय सरकार आई है, तबसे तकरीबन दो साल में एक टाइल रिपेयरिंग तक का काम नहीं हुआ। टेंडर तो जारी करते हैं, लेकिन निरस्त कर देते हैं। बजट स्वीकृति होने के बाद भी प्रशासकीय स्वीकृति लंबित रखी जाती है, यह सोची-समझी देरी है। जनता कब तक यह उपेक्षा सहे? यदि सोमवार से मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ तो हम और उग्र आंदोलन करेंगे।”
अकलतरा विधायक राघवेंद्र सिंह बोले —“बरसात पूर्व सड़क मरम्मत के टेंडर की प्रक्रिया औपचारिकताओं में सिमट गई। 56 लाख का मात्र एक टेंडर खोला गया है, बाकी फाइलें दफ्तरों में घूम रही हैं। जिन सड़कों पर लोग रोज जान जोखिम में डालकर यात्रा कर रहे हैं, वहां भी प्रशासन की निष्ठा शून्य है। कलेक्टर सत्ता पक्ष की पार्टी मीटिंग में समय दे रहे हैं, लेकिन जनता के दुख-दर्द पर नहीं।”
जनता की समस्याएं भी हुईं मुखर
प्रदर्शन स्थल पर मौजूद ग्रामीणों ने बताया कि टूटी सड़कों के कारण स्कूली बच्चों के गिरकर घायल होने की घटनाएं बढ़ गई हैं। वहीं, व्यापारियों ने कहा कि माल ढुलाई और परिवहन कार्य समय से नहीं हो पा रहा। गांवों के मरीजों को अक्सर अस्पताल पहुंचने में देरी होती है।

कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा
घेराव के बाद कांग्रेस प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए 3-4 दिनों के भीतर: सड़क मरम्मत शुरू करने, लीलागर नदी पुल निर्माण की टाइमलाइन तय करने, प्राथमिकता सूची जारी करने की मांग रखी। कलेक्टर ने मंगलवार से कार्यवाही शुरू करने का आश्वासन दिया।
चेतावनी भी स्पष्ट — “अब कार्रवाई चाहिए, आश्वासन नहीं” कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यदि आश्वासन धरातल पर नहीं उतरा तो अगला आंदोलन उग्र रूप लेगा और चरणबद्ध घेराव के साथ जवाबदेही की मांग तेज की जाएगी।




