शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा कर्मियों का ‘कब्जा’! पेइंग वार्ड बना निजी आवास, नगर पालिका ने दे दिया नल कनेक्शन
सरकारी नियम दरकिनार… न क्वार्टर का अधिकार, न पेइंग वार्ड में रहने की अनुमति, फिर भी दो संविदा कर्मचारी महीनों से सरकारी संसाधनों का निजी उपयोग कर रहे!

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में संविदा कर्मियों का ‘कब्जा’! पेइंग वार्ड बना निजी आवास, नगर पालिका ने दे दिया नल कनेक्शन
सरकारी नियम दरकिनार… न क्वार्टर का अधिकार, न पेइंग वार्ड में रहने की अनुमति, फिर भी दो संविदा कर्मचारी महीनों से सरकारी संसाधनों का निजी उपयोग कर रहे!
जांजगीर-चाम्पा। शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जांजगीर इन दिनों शहर में चर्चा का बड़ा केंद्र बना हुआ है। कारण यहां पदस्थ दो संविदा कर्मचारी जिन्होंने सरकारी नियमों को ताक पर रखकर पेइंग वार्ड को ही अपना निजी मकान बना लिया है। मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग से लेकर नगर पालिका तक की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है।
सूत्रों के अनुसार, शहरी पीएचसी में पदस्थ लैब टेक्नीशियन और स्टाफ नर्स पिछले काफी समय से चिकित्सालय के पेइंग वार्ड में ही स्थायी रूप से रह रहे हैं। जबकि नियम साफ बताते हैं कि किसी भी संविदा कर्मचारी को किसी भी स्थिति में सरकारी क्वार्टर या सरकारी भवन में निवास की अनुमति नहीं दी जाती।
नियमों के खिलाफ ठहराव: संविदा कर्मियों को क्वार्टर का अधिकार नहीं
छत्तीसगढ़ संविदा सेवा भर्ती नियम और स्वास्थ्य विभाग के आवास आवंटन नियम के अनुसार: संविदा कर्मचारी को किसी प्रकार का सरकारी आवास आवंटित नहीं किया जा सकता, संविदा कर्मचारी चिकित्सालय परिसर में निवास नहीं कर सकता, पेइंग वार्ड अस्पताल का राजस्व उत्पन्न करने वाला विशेष वार्ड है, जिसे निजी उपयोग में लेना सीधे-सीधे वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है, लेकिन इन दोनों कर्मचारियों पर इन नियमों का कोई असर नहीं। वार्ड उनके निजी कमरे के रूप में उपयोग हो रहा है बेड, कूलर, बिजली, पानी, सब कुछ सरकारी खर्च पर!
नगर पालिका की भूमिका संदिग्ध—पेइंग वार्ड में नल कनेक्शन भी जारी!
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जांजगीर-नैला नगर पालिका ने भी बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया और पात्रता की जांच के पेइंग वार्ड में नल कनेक्शन जारी कर दिया। नगर पालिका के जल संयोजन नियम के अनुसार किसी निजी व्यक्ति को सरकारी भवन में व्यक्तिगत नल कनेक्शन नहीं दिया जा सकता। नल कनेक्शन के लिए स्वामित्व प्रमाण, किरायानामा या अधिकृत आवास अनुमति पत्र अनिवार्य होता है। अस्पताल परिसर में व्यक्तिगत नल कनेक्शन देना नियमों का घोर उल्लंघन है
फिर भी पालिका ने संविदा कर्मचारियों को पेइंग वार्ड में नल कनेक्शन प्रदान कर दिया, जो स्पष्ट रूप से नियम विरुद्ध और प्रशासनिक स्तर पर मनमानी का संकेत है।
विभागीय मिलीभगत की आशंका, राजस्व का नुकसान भी पक्का
पेइंग वार्ड अस्पताल के लिए आय का साधन होता है, लेकिन यहां महीनों से दोनों संविदा कर्मचारी इसे बिना शुल्क चुकाए निजी आवास की तरह उपयोग कर रहे हैं। मरीजों के लिए बने पेइंग वार्ड पर कब्जा सरकारी बिजली, पानी और संसाधनों का दुरुपयोग, अस्पताल के राजस्व का नुकसान और सबसे बड़ा प्रश्न यह सब बिना प्रशासनिक संरक्षण के कैसे संभव?
नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग दोनों से जवाबदेही तय होनी चाहिए
यह पूरा प्रकरण स्थानीय प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन और नगर पालिका की जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। किसकी अनुमति से अस्पताल का पेइंग वार्ड आवास में बदला गया? किस आधार पर संविदा कर्मचारियों को रहने दिया गया?बिना स्वामित्व या अधिकार पत्र के नगर पालिका ने नल कनेक्शन कैसे जारी किया? सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर कौन जिम्मेदार? कुल मिलाकर—नियमों की धज्जियाँ और प्रशासनिक तंत्र की चुप्पी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो संविदा कर्मचारियों द्वारा पेइंग वार्ड को निजी घर बनाना केवल अनुशासनहीनता नहीं, बल्कि स्पष्ट प्रशासनिक भ्रष्टाचार और नियम उल्लंघन का मामला है।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है या फिर यह प्रकरण भी फाइलों में दबकर रह जाएगा?




