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“जब मासूम की चीखें सरकार को न जगाएं, तो समाज को सड़कों पर उतरना पड़ता है” – विष्णु लोधी

हत्या के बाद न्याय के लिए गरजा लोधी समाज

डोंगरगढ़ : छत्तीसगढ़ में बेमेतरा जिले के ग्राम सोनुपुरी की 11 वर्षीय मासूम बच्ची के साथ हुई हैवानियत के तीन महीने बीत जाने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी न होने से आक्रोशित लोधी समाज ने आज डोंगरगढ़ में चौकी सम्बलपुर का घेराव कर सशक्त प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में छत्तीसगढ़ लोधी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता विष्णु लोधी सहित अनेक समाजिक और राजनैतिक नेताओं ने भाग लिया।

इस दौरान विष्णु लोधी ने पीड़ित परिवार से मिलकर उनका दुख साझा किया और सरकार को कठोर शब्दों में चेताया:

♦ “यह घेराव कोई उग्रता नहीं, जन चेतना का शंखनाद है। अगर सरकार और प्रशासन अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते, तो समाज को जागकर सड़कों पर उतरना ही पड़ता है।”

विष्णु लोधी ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि एक आरोपी का पुलिस हिरासत से फरार होना प्रशासन की मिलीभगत को उजागर करता है। यह न केवल कानून व्यवस्था की विफलता है, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा भी है।

“बेटी के हत्यारों की खुली छूट पर समाज में उबाल”

धरना स्थल पर हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए, जिनमें लोधी समाज के साथ-साथ साहू, यादव, पटेल, वर्मा, राजपूत सहित विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। मंच पर एकता और न्याय की पुकार गूंज रही थी।

विष्णु लोधी ने सरकार के समक्ष तीन प्रमुख माँगें रखीं:

1. फरार आरोपी की शीघ्र गिरफ्तारी।

2. न्यायिक जांच और दोषी पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी।

3. पीड़ित परिवार को सुरक्षा, मानसिक सहयोग और पर्याप्त मुआवज़ा।

यदि बेटियों को न्याय न मिला, तो छत्तीसगढ़ में होगा राज्यव्यापी आंदोलन – विष्णु लोधी

सभा को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम वर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री गुरु रुद्र कुमार, पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा, प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश लोधी, साहू समाज के थानेश्वर साहू सहित अनेक जनप्रतिनिधियों ने भी सरकार की निष्क्रियता पर नाराज़गी जताई और न्याय की मांग की।

सभा में एक स्वर से यह निर्णय लिया गया कि यदि जल्द ही सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो छत्तीसगढ़ भर में आंदोलन तेज किया जाएगा।

“चुप नहीं बैठेगा समाज, जब शासन सो जाए”

सभा में विभिन्न जिलों से आए समाज प्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने पीड़िता के परिवार के साथ एकजुटता दिखाई। यह कार्यक्रम महज़ एक प्रदर्शन नहीं, बल्कि जन जागृति का उद्घोष था – एक ऐसा ऐलान जो सत्ता को उसकी ज़िम्मेदारियाँ याद दिलाने के लिए था।

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