पति ने पहनी पत्नी की डिग्री की चादर, फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तलाक के बाद!
शादी टूटी तो झूठ की नींव भी हिली—फार्मा कंपनी में एरिया मैनेजर बना पति, असल में कभी की नहीं पढ़ाई!

पति ने पहनी पत्नी की डिग्री की चादर, फर्जीवाड़े का पर्दाफाश तलाक के बाद!
शादी टूटी तो झूठ की नींव भी हिली—फार्मा कंपनी में एरिया मैनेजर बना पति, असल में कभी की नहीं पढ़ाई!
बिलासपुर: बिलासपुर शहर में एक अजीबो-गरीब और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक युवक ने अपनी ही पत्नी की फार्मेसी की डिग्री को स्कैन कर अपने नाम से फर्जी मार्कशीट तैयार की और बड़ी फार्मा कंपनी में एरिया मैनेजर की नौकरी हासिल कर ली। यह फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब दोनों के बीच तलाक के बाद पत्नी ने कानून का दरवाजा खटखटाया।
यह पूरा मामला सिविल लाइन थाना क्षेत्र का है। सरकंडा के राजकिशोर नगर की निवासी शालिनी कलशा, जो बी. फार्मा की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं, ने अपने पूर्व पति संकल्प तिवारी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शालिनी के अनुसार, संकल्प तिवारी ने उनकी मार्कशीट को स्कैन कर अपने नाम से फर्जी डिग्री तैयार कर ली और उसी के आधार पर एस्ट्रा जेनेका फार्मा कंपनी में ऊँचे पद पर नौकरी पा गया।
शादी के कुछ वर्षों बाद ही दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे और अंततः तलाक हो गया। इसके बाद संकल्प ने दूसरी शादी कर ली। तलाक के बाद जब शालिनी को संकल्प की नौकरी की सच्चाई का आभास हुआ तो उन्होंने अपनी डिग्री की कॉपी और अन्य दस्तावेजों की जांच करवाई। तब जाकर यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ।
शालिनी की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। प्रारंभिक जांच में शालिनी की डिग्री असली पाई गई है, जबकि संकल्प के दस्तावेजों में भारी गड़बड़ियाँ हैं। पुलिस ने संकल्प की डिग्री, नौकरी संबंधी दस्तावेज और शैक्षणिक योग्यता से जुड़े प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा, “हम महिला की शिकायत को गंभीरता से ले रहे हैं। यह एक साफ-सुथरा धोखाधड़ी का मामला प्रतीत हो रहा है। जांच में यदि फर्जीवाड़ा सिद्ध होता है, तो आरोपी पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला न सिर्फ एक पारिवारिक विवाद की पोल खोलता है, बल्कि शिक्षा प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग और कंपनियों की सत्यापन प्रणाली पर भी बड़े सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि कानून की नजर में यह जालसाजी किस मुकाम तक पहुँचती है।
क्या कंपनियाँ डिग्री सत्यापन में बरत रही हैं लापरवाही?
क्या शिक्षा प्रमाणपत्रों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस डिजिटल उपाय हैं?
इस मामले ने छत्तीसगढ़ में फर्जी डिग्रियों के नेटवर्क की संभावना को भी जन्म दे दिया है।