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नहर से नाली तक और अब सीसी रोड की दुर्दशा, सिंचाई विभाग के ‘खर्चीले’ प्रयोगों से सरकार को करोड़ों का चूना!

DMF फंड से बना करोड़ों का सीसी रोड दो महीने में उखड़ा,

नहर से नाली तक और अब सीसी रोड की दुर्दशा,

जांजगीर चांपा में सिंचाई विभाग के ‘खर्चीले’ प्रयोगों से सरकार को करोड़ों का चूना!

DMF फंड से बना करोड़ों का सीसी रोड दो महीने में उखड़ा,

2019 में नहर से तालाब योजना भी हुई थी फेल… कार्यपालन अभियंता पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ की विष्णु देव सरकार जहां एक ओर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं जांजगीर चांपा जिले में सिंचाई विभाग के कार्यपालन अभियंता शशांक सिंह के कथित भ्रष्टाचार से सरकार को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

साल 2019 में भीमा तालाब में मुख्य नहर से पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई थी। इसके लिए लगभग 50 लाख रुपए खर्च कर एक नाली का निर्माण किया गया, जो न तो तालाब तक पहुंची, न ही उससे पानी आया। पूरी योजना विफल रही और सारा पैसा पानी की तरह बह गया। नाली आज भी बेकार पड़ी है, जिसकी कोई उपयोगिता नहीं है।

अब, शशांक सिंह के कार्यकाल में DMF फंड से करोड़ों की लागत से सीसी रोड का निर्माण कराया गया है, जो महज दो महीने में उखड़ने लगा है। पुराने जिला पंचायत भवन वाली सड़क से लेकर नहरिया बाबा रोड तक, सभी जगहों पर सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं।

गुणवत्ता पर उठे सवाल

10 साल की गारंटी वाली सड़कें मात्र 2 महीने में जवाब दे गईं।

निर्माण कार्य में सैंपलिंग और क्यूब टेस्टिंग तक सही ढंग से नहीं की गई।

विभागीय अधिकारी समय पर निरीक्षण या मॉनिटरिंग नहीं कर पाए, जिससे ठेकेदारों ने मनमाने तरीके से काम किया।

स्थानीय लगा रहे भ्रष्टाचार का आरोप

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, कार्यपालन अभियंता ने कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों को मंजूरी दी और निर्माण कार्य में मिलभगत कर सरकारी धन की बर्बादी की गई।

DMF फंड में घपले की बू

बताया जा रहा है कि तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में DMF फंड के करोड़ों रुपए का अनुचित तरीके से इस्तेमाल हुआ और उसी की परिणति यह घटिया सड़कें हैं। इन परियोजनाओं में किसी तरह की पारदर्शिता नहीं बरती गई।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

यह घटनाक्रम एक बार फिर से यह उजागर करता है कि अगर सरकारी धन का नियोजन सही ढंग से न हो और विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय न हो, तो जनता को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। यह मामला केवल भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि शासन प्रशासन में उत्तरदायित्व की भारी कमी का भी उदाहरण बन चुका है।

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