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जब कोई गलती नहीं थी, तो मुआवजा या मेहरबानी क्यों?

"तौलिये में लिपटी साज़िश" — तीसरी कड़ी

“तौलिये में लिपटी साज़िश” — तीसरी कड़ी

अब सवाल उठता है, जब कोई गलती नहीं थी, तो मुआवजा या मेहरबानी क्यों?

बिलासपुर/जांजगीर-चांपा: “CGKHABARNAMA” की पड़ताल और वायरल वीडियो ने जैसे ही अस्पताल प्रबंधन की चूलें हिलाईं, पूरे मामले ने एक नया और चौंकाने वाला मोड़ ले लिया।

अब सबसे बड़ा सवाल — अगर कोई गलती नहीं थी, तो फिर ‘दया भाव’ से लाखों की माफी क्यों?

मेहरबानी या मौन की कीमत?

मृतका के परिजनों के बताए अनुसार जिस जांजगीर के निजी अस्पताल ने मृतका के परिजनों से इलाज के नाम पर पहले लाखों की वसूली की, वही अचानक न सिर्फ अपनी पूरी फीस माफ करता है, बल्कि बिलासपुर के निजी अस्पताल का 8 से 9 लाख रुपये तक का खर्चा भी खुद उठाने को तैयार हो जाता है।

इतना ही नहीं, बिलासपुर के अस्पताल ने भी ‘समझौते’ के तहत सिर्फ दवाइयों का पैसा लेने की पेशकश की — बेड चार्ज माफ!

अब ज़रा सोचिए —
हफ्ता-दस दिन का बेड चार्ज 9 लाख रुपये!
रोज़ाना 30-40 हजार की दवाइयां!
ऑपरेशन में लापरवाही से जुड़वां बच्चों की डिलीवरी के बाद, पेट में मवाद भरने पर रोज का खर्च 1 से 2 लाख!

तो फिर वही हॉस्पिटल अचानक ‘मेहरबान’ कैसे हो गया?
क्या अस्पताल अब इंसानियत के मंदिर बन गए हैं या सतयुग लौट आया है?

या फिर ये ‘रियायतें’ सिर्फ इसलिए दी गईं क्योंकि गलती छुपानी थी?

‘हम निर्दोष हैं’ की आड़ में सौदेबाज़ी?

अगर अस्पताल की कोई गलती नहीं थी, तो:

फीस क्यों माफ की गई?

दूसरे अस्पताल का खर्च क्यों उठाया गया?

मृतका के घर के बाहर निगरानी क्यों लगाई गई?

OT स्टाफ को धमकाकर वीडियो क्यों डिलीट कराए गए?

इसका एक ही जवाब है —
गलती छुपाने की साज़िश। चुप्पी खरीदने का सौदा।

और यह पहली बार नहीं है।

“मौत के बाद भी इलाज”, और “लाश के बदले उगाही” — एक और सच्चाई

हाल ही में जांजगीर के ही एक निजी अस्पताल में मासूम बच्चे की मौत के बाद, इलाज ‘जारी’ दिखाया गया। परिजनों से पूरी फीस वसूली गई। शव को तब तक नहीं सौंपा गया, जब तक अंतिम पैसा वसूल नहीं हुआ।

लेकिन इसी जिले का अस्पताल, इस तौलिया कांड में अचानक इतना नरम पड़ जाता है?
ये इंसाफ नहीं, समझौते की बू दे रहा है।

CGKHABARNAMA की अगली कड़ी में होगा खुलासा:

कौन हैं वो डॉक्टर जिनके हाथों हुआ ये ‘तौलिये वाला कत्ल’?

किसकी मिलीभगत से रची गई ये ‘मौत की डील’?

और कौन हैं वे अधिकारी जो आंख मूंदे बैठे हैं?

अब ये सिर्फ एक मेडिकल केस नहीं — ये सिस्टम पर सवाल है।

CGKHABARNAMA का वादा:
जब तक सच्चाई बाहर नहीं आती, पर्दाफाश जारी रहेगा।
हम रुकेंगे नहीं। झुकेंगे नहीं।
क्योंकि अब इंसाफ दस्तक नहीं देगा ,अब वो दरवाजा तोड़ेगा!

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