“सायकल चलाएं, स्वस्थ जीवन अपनाएं” – विश्व सायकल दिवस पर जांजगीर में निकली भव्य सायकल रैली
फिटनेस का संदेश लेकर सड़कों पर उतरे युवा

“सायकल चलाएं, स्वस्थ जीवन अपनाएं” – विश्व सायकल दिवस पर जांजगीर में निकली भव्य सायकल रैली
फिटनेस का संदेश लेकर सड़कों पर उतरे युवा
जांजगीर-चाम्पा : विश्व सायकल दिवस के अवसर पर आज जांजगीर में फिटनेस को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक भव्य और प्रेरणादायक सायकल रैली का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य आमजन में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना और सायकल को दैनिक जीवन में अपनाने के महत्व को रेखांकित करना रहा।
रैली का शुभारंभ रविवार सुबह 7 बजे खेलो इंडिया सेंटर, शासकीय ठाकुर छेदीलाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जांजगीर से हुआ। रैली कचहरी चौक तक पहुंचकर पुनः खेलो इंडिया सेंटर पर समाप्त हुई। आयोजन का नेतृत्व संचालनालय, खेल एवं युवा कल्याण, छत्तीसगढ़ रायपुर के निर्देशानुसार किया गया।
इस रैली में बड़ी संख्या में खिलाड़ी, स्कूली छात्र-छात्राएं, युवा वर्ग और नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रतिभागियों ने स्लोगनों और उत्साहजनक नारों के साथ शहरवासियों को फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
अधिकारियों का संदेश:
इस अवसर पर मौजूद अधिकारियों ने सायकल को न केवल फिटनेस का प्रतीक बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील और टिकाऊ परिवहन साधन के रूप में अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सायकलिंग से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है बल्कि यह ईंधन की बचत और प्रदूषण में कमी लाने का प्रभावी माध्यम है।
अम्बेश जांगड़े (भाजपा जिलाध्यक्ष, जांजगीर-चाम्पा) का प्रेरक संदेश:
> “सायकल सिर्फ एक साधन नहीं, बल्कि एक संकल्प है – स्वास्थ्य का, पर्यावरण का और ऊर्जा बचत का। विश्व सायकल दिवस हम सभी को यह याद दिलाता है कि हमारी छोटी-छोटी आदतें भी बड़े परिवर्तन ला सकती हैं। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे सायकलिंग को अपनी दिनचर्या में शामिल करें और फिट भारत, स्वच्छ भारत की दिशा में योगदान दें।”
सिटी कोतवाली थाना प्रभारी ने दिया जागरूकता का संदेश:
इस अवसर पर सिटी कोतवाली थाना प्रभारी ने अपने उद्बोधन में उपस्थित युवाओं और अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा,
“छोटे व नाबालिग बच्चों को दोपहिया वाहन चलाने के लिए लाइसेंस नहीं दिया जाता, इसके बावजूद कई बार वे बाइक चलाते दिखाई देते हैं, जो न सिर्फ कानून का उल्लंघन है, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है। ऐसे में बेहतर यही होगा कि बच्चों और किशोरों को सायकल चलाने की आदत डाली जाए। इससे न केवल उनका शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होगा, बल्कि ट्रैफिक नियमों का पालन भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। साथ ही, चालान की कार्रवाई और पेट्रोल के खर्च से भी बचा जा सकता है।”