युक्तियुक्तकरण में लापरवाही से आहत शिक्षक पहुंचे कलेक्टर दरबार, न्याय की लगाई गुहार
"आवाज दो, हम साथ हैं" – जांजगीर-चांपा के शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण की विसंगतियों पर खोला मोर्चा

युक्तियुक्तकरण में लापरवाही से आहत शिक्षक पहुंचे कलेक्टर दरबार, न्याय की लगाई गुहार
“आवाज दो, हम साथ हैं” – जांजगीर-चांपा के शिक्षकों ने युक्तियुक्तकरण की विसंगतियों पर खोला मोर्चा
जांजगीर-चांपा। जिले के सैकड़ों शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में हुई गंभीर अनियमितताओं को लेकर आक्रोशित हैं। शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर एवं जिला युक्तियुक्तकरण समिति के अध्यक्ष जन्मेजय महोबे से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि जिले में शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में शासन के स्पष्ट दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर मनमानी की गई है, जिससे 109 शिक्षकों को अन्यायपूर्ण तरीके से जिले से बाहर भेज दिया गया है।
शिक्षकों ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार सभी “शिक्षक विहीन”, “एकल शिक्षक” एवं “अधिक दर्ज संख्या” वाले विद्यालयों को युक्तियुक्तकरण में प्राथमिकता के साथ दर्शाया जाना अनिवार्य है, लेकिन जिला शिक्षा कार्यालय ने इस नियम की अनदेखी की। कुल 435 अतिशेष सहायक शिक्षक बताए गए, लेकिन केवल 253 रिक्त पद ही प्रकाशित किए गए, जिससे संदेह गहराया कि शेष पदों को जानबूझकर छिपाया गया है।
स्पष्ट उल्लंघन के उदाहरण दिए गए:
बुढ़गहन, बिर्रा, भोजपुर, पोड़ी दल्हा, देवकिरारी जैसे स्कूलों में छात्र संख्या 200 से अधिक होने के बावजूद उन्हें रिक्त सूची में नहीं लिया गया।
खैजा और देवकोनी सेमरा मु. जैसे विद्यालयों में जरूरत के अनुसार शिक्षक नहीं हैं, फिर भी इन विद्यालयों की अनदेखी की गई।
शिक्षक सेटअप के अनुसार 105 तक की छात्र संख्या पर 3 शिक्षकों की आवश्यकता थी, लेकिन कई स्कूलों में केवल 2 ही शिक्षक हैं।
अनेक शिक्षकों को उनके विषय के विपरीत दूसरे विषयों में समायोजित किया गया – जैसे कला शिक्षक को हिंदी पढ़ाना, या हिंदी शिक्षक को कला विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई।
शिक्षकों का आरोप:
विकासखंड एवं जिला शिक्षा अधिकारियों ने शासन की मंशा को दरकिनार कर स्वेच्छाचारिता से कार्य किया।
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा संभागीय कार्यालय को गलत, अपूर्ण व भ्रमित करने वाली रिक्त पदों की सूची भेजी गई, जिससे योग्य शिक्षक जिले से बाहर कर दिए गए।
उक्त प्रक्रिया ने शिक्षकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है।
मांगें:
1. युक्तियुक्तकरण की विसंगतिपूर्ण प्रक्रिया को निरस्त किया जाए।
2. दोषी अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
3. अन्य जिलों में भेजे गए 109 शिक्षकों को जांजगीर-चांपा जिले के रिक्त 109 पदों पर पुनः पदस्थ किया जाए।
शिक्षकों ने स्पष्ट किया है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया, तो वे प्रदेश स्तरीय आंदोलन की राह पकड़ने को बाध्य होंगे। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर एवं युक्तियुक्तकरण समिति इस गंभीर मसले पर क्या निर्णय लेते हैं।
शिक्षकों की यह लड़ाई सिर्फ स्थानांतरण की नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, प्रशासनिक पारदर्शिता और शिक्षक गरिमा की भी है।