सक्ती जिले में युक्तियुक्तकरण बना मज़ाक, एक ही महीने में दो-दो बार कार्यभार, नियमों को रौंदते आदेश!
शासन के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना, जिला शिक्षा कार्यालय की मनमानी पर उच्चाधिकारी मौन,

सक्ती जिले में युक्तियुक्तकरण बना मज़ाक, एक ही महीने में दो-दो बार कार्यभार, नियमों को रौंदते आदेश!
शासन के निर्देशों की खुलेआम अवहेलना, जिला शिक्षा कार्यालय की मनमानी पर उच्चाधिकारी मौन,
सक्ती। जिला शिक्षा कार्यालय सक्ती में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया मज़ाक बनकर रह गई है। शासन द्वारा तय नियमों और प्रक्रिया को धता बताते हुए शिक्षा विभाग ने एक ही शिक्षक को महज पंद्रह दिनों के भीतर दो अलग-अलग स्कूलों में कार्यभार ग्रहण करा दिया है। यह सब उस समय हुआ जब शिक्षक पहले ही एक संस्था में कार्यभार ग्रहण कर चुका था, और नियम कहता है कि इसके बाद स्थानांतरण की प्रक्रिया के बिना दोबारा पदस्थापना संभव नहीं है।
मामला वरिष्ठ व्याख्याता वेदप्रकाश देवांगन (एलबी, भौतिक शास्त्र) से जुड़ा है, जिन्हें 03 जून 2025 को युक्तियुक्तकरण के तहत शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, चांटीपाली (विकासखंड मालखरौदा) में पदस्थ किया गया था। उन्होंने दिनांक 10 जून 2025 को विधिवत कार्यभार ग्रहण कर लिया था जिसकी सूचना प्राचार्य ने पत्र क्रमांक 04 द्वारा जिला शिक्षा कार्यालय को भेज दी थी।
दूसरी नियुक्ति, दूसरा कार्यभार – एक ही महीने में!
चौंकाने वाली बात यह है कि 17 जून 2025 को उसी शिक्षक का नया आदेश निकालकर उन्हें शा. उ. मा. वि. कोटेतरा (विकासखंड जैजैपुर) भेज दिया गया, और यहां भी उन्होंने कार्यभार ग्रहण कर लिया। यानी एक ही शिक्षक ने एक ही महीने में दो स्थानों पर कार्यभार ग्रहण कर लिया – जो कि पूरी तरह नियम विरुद्ध है।
कौन जिम्मेदार? — संयुक्त संचालक और कलेक्टर का नाम ‘अनुमोदन’ में, पर जानकारी नहीं दी गई!
आदेश पत्रों में संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग बिलासपुर और कलेक्टर एवं अध्यक्ष, जिला युक्तियुक्तकरण समिति का अनुमोदन दर्शाया गया है। लेकिन सूत्रों का दावा है कि कार्यभार ग्रहण की पूर्व जानकारी इन उच्चाधिकारियों को दी ही नहीं गई। इससे यह सवाल खड़ा होता है कि क्या अनुमोदन की प्रक्रिया महज औपचारिकता रह गई है?
जब युक्तियुक्तकरण समिति का अध्यक्ष स्वयं कलेक्टर होता है और संयुक्त संचालक सदस्य भी नहीं हैं, तो उनका अनुमोदन कैसे दर्शाया गया? यह संदेह को और गहरा करता है।
पूर्व में भी उठे हैं सवाल, जांच की मांग और सत्र में जवाब की तैयारी
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अरुण महिलांगे एवं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला सचिव भानु प्रताप चौहान पहले भी युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में हुई गड़बड़ियों की शिकायत लेकर कमिश्नर, बिलासपुर पहुंचे थे। कमिश्नर ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था। वहीं, जानकारी है कि विधानसभा के मानसून सत्र में भी यह मामला उठने जा रहा है, और 14 जुलाई को माननीय मुख्यमंत्री एवं स्कूल शिक्षा मंत्री को सदन में जवाब देना है। जिला शिक्षा समिति की सभापति श्रीमती विद्या सिदार ने भी हालिया बैठक में इस प्रकार की अनियमितताओं पर जांच की मांग की है।
अब जनता और शिक्षकों को इंतजार है — निष्पक्ष जांच का, जवाबदेही का।
सवाल अब बड़ा है — क्या शासन-प्रशासन इस प्रकार की नियमविहीन व्यवस्था पर लगाम लगाएगा? या फिर युक्तियुक्तकरण जैसे महत्वपूर्ण निर्णय केवल कुछ अधिकारियों की मनमर्जी का शिकार बनते रहेंगे?