वन संरक्षण के साथ बिजली पहुंचाई, जनकपुर तहसील को मिला 132 केवी उपकेंद्र, 142 गांव होंगे रोशन
22.50 करोड़ की लागत से बना बहरासी उपकेंद्र, पर्यावरण-संवेदनशील सोच का उदाहरण, 15 हजार उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

वन संरक्षण के साथ बिजली पहुंचाई, जनकपुर तहसील को मिला 132 केवी उपकेंद्र, 142 गांव होंगे रोशन
22.50 करोड़ की लागत से बना बहरासी उपकेंद्र, पर्यावरण-संवेदनशील सोच का उदाहरण, 15 हजार उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ
रायपुर/मनेन्द्रगढ़। छत्तीसगढ़ में पहली बार बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण का अनुकरणीय उदाहरण सामने आया है। मनेन्द्रगढ़ जिले के जनकपुर तहसील अंतर्गत बहरासी में 3 जुलाई को 132/33 केवी का नया उपकेंद्र शुरू हुआ, जिसे छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध निदेशक आर. के. शुक्ला ने ऊर्जीकृत किया। यह उपकेंद्र 22.50 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है और इससे जनकपुर तहसील के 142 गांवों के 15 हजार उपभोक्ताओं को स्थायी व बेहतर विद्युत आपूर्ति मिलने लगेगी।
वन नहीं काटा, समाधान निकाला, मध्यप्रदेश से जोड़ी गई सप्लाई
जनकपुर क्षेत्र घने वन क्षेत्र में आता है, और यहां 132 केवी लाइन बिछाने के लिए लगभग 100 किमी लंबी लाइन बनानी पड़ती, जिससे बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई होती। लेकिन पर्यावरण की चिंता करते हुए छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने एक अभिनव और जिम्मेदार निर्णय लिया।
बहरासी से गुजर रही मध्यप्रदेश पारेषण कंपनी की 132 केवी अमरकंटक-राजमिलान लाइन से सीधे कनेक्शन लेकर नए उपकेंद्र को ऊर्जीकृत किया गया। इससे ना केवल लाखों पेड़ कटने से बचे, बल्कि समय, लागत और प्राकृतिक संसाधनों की भी बचत हुई।
पुरानी व्यवस्था में थे लगातार फॉल्ट और लो-वोल्टेज
अब तक जनकपुर क्षेत्र को 33 केवी लाइन के जरिए मनेंद्रगढ़ से बिजली आपूर्ति की जा रही थी। यह लाइन लगभग 100 किमी लंबी और सघन वन से होकर गुजरती है, जिससे फॉल्ट की स्थिति में मरम्मत मुश्किल और समय लेने वाली होती थी। उपभोक्ताओं को बार-बार लो वोल्टेज और बिजली कटौती जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
नया उपकेंद्र शुरू होने से इन सभी समस्याओं का समाधान होगा और क्षेत्र में विश्वसनीय, स्थिर और बेहतर वोल्टेज पर बिजली मिलेगी।
सामूहिक प्रयास और सहयोग से बना मुमकिन
इस परियोजना को सफल बनाने में मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (MPPTCL) और मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का भी भरपूर सहयोग रहा। इस अवसर पर कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी कार्यपालक निदेशक संजय पटेल, मुख्य अभियंता संजय तिवारी, श्रीमती कल्पना घाटे, यशवंत शिलेदार, अति. मुख्य अभियंता पी. गोसाई, अधीक्षण अभियंता राजेश लकड़ा, सहित अनेक तकनीकी अधिकारी एवं अभियंता उपस्थित रहे।
यह उपकेंद्र केवल बिजली नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी और नई सोच का प्रतीक है, एक मॉडल जिसे राज्य के अन्य परियोजनाओं में भी अपनाया जा सकता है।