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शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई, जांजगीर के आबकारी सहायक आयुक्त अलेख सिदार निलंबित

शराब कारोबार में घोटाले का बड़ा खुलासा, फर्जी बिलिंग, नकली होलोग्राम और करोड़ों की हेराफेरी का पर्दाफाश

शराब घोटाले में बड़ी कार्रवाई, जांजगीर के आबकारी सहायक आयुक्त अलेख सिदार निलंबित

शराब कारोबार में घोटाले का बड़ा खुलासा, फर्जी बिलिंग, नकली होलोग्राम और करोड़ों की हेराफेरी का पर्दाफाश

2174 करोड़ के शराब घोटाले में जांजगीर के अलेख सिदार पर भी गिरी गाज

 

जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ सरकार ने 2174 करोड़ रुपए के बहुचर्चित शराब घोटाले में कड़ा रुख अपनाते हुए एक ही दिन में 22 वाणिज्य कर एवं आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस कार्रवाई में जांजगीर जिले के आबकारी सहायक आयुक्त अलेख सिदार का नाम भी प्रमुखता से शामिल है, जिन्हें ईओडब्ल्यू की विस्तृत चार्जशीट के आधार पर घोटाले में संलिप्तता के चलते निलंबित किया गया है।

चार्जशीट में अलेख सिदार सहित कई अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर शराब की अवैध बिक्री को वैध दिखाने, फर्जी बिल बनाने, नकली होलोग्राम उपयोग करने और बेनामी भुगतान के जरिए करोड़ों की हेराफेरी की। ईओडब्ल्यू ने 29 अधिकारियों के खिलाफ करीब 2300 पन्नों की चार्जशीट विशेष न्यायालय में पेश की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार भी कर लिया है।

7 जुलाई को जारी हुआ निलंबन आदेश

सरकार ने 7 जुलाई को यह आदेश जारी किया। प्रारंभिक जांच और चार्जशीट का अवलोकन करते हुए सबसे पहले 12 अधिकारियों को निलंबित किया गया, जिसके कुछ ही घंटों बाद 10 और अधिकारियों पर भी गाज गिरी। निलंबन की यह कार्रवाई केवल एक प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त संदेश के रूप में देखी जा रही है।

शराब कारोबार में संगठित भ्रष्टाचार का खुलासा

जांच में सामने आया है कि इन अधिकारियों ने शराब ठेकेदारों और निजी एजेंसियों से सांठगांठ कर शासन को हजारों करोड़ का आर्थिक नुकसान पहुंचाया। फर्जी बिलिंग, बिना रसीद बिक्री, कमीशन आधारित पेमेंट और नकली होलोग्राम के जरिए पूरे सिस्टम को गुमराह किया गया। आबकारी विभाग की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

जिले में मचा हड़कंप, जनता में आक्रोश

जिले में जब से सहायक आयुक्त अलेख सिदार के निलंबन की खबर आई है, प्रशासनिक गलियारों से लेकर आम जनता तक में चर्चा तेज हो गई है। लंबे समय से विभाग में पारदर्शिता को लेकर उठते सवालों को अब सरकारी मुहर ने और पुष्ट कर दिया है।

यह कार्रवाई न केवल एक प्रशासनिक दायित्व का निर्वहन है, बल्कि आने वाले समय में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति की नींव मानी जा रही है। जांच की दिशा अब गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती की ओर बढ़ रही है, जिससे आने वाले दिनों में और भी कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

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