फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी करने वाले 27 कर्मचारी होंगे बर्खास्त
मुंगेली जिले में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा नकली 'बहरे' अफसर

फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र से नौकरी करने वाले 27 कर्मचारी होंगे बर्खास्त
मुंगेली जिले में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा नकली ‘बहरे’ अफसर
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले में फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी करने वाले 27 कर्मचारियों का पर्दाफाश हुआ है। ये सभी कर्मचारी ‘श्रवण बाधित’ यानी बहरे होने का झूठा सर्टिफिकेट दिखाकर वर्षों से सरकारी विभागों में सेवा कर रहे थे। अब इन सभी पर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है।
जांच में खुलासा हुआ कि फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के सहारे ये लोग नौकरी में भर्ती हुए थे। इनमें से सबसे ज्यादा 11 लोग शिक्षा विभाग में पदस्थ हैं, जिनमें 10 लेक्चरर और एक सहायक शिक्षक शामिल हैं। इसके अलावा कृषि, उद्यानिकी, श्रम और सांख्यिकी जैसे विभागों में भी ऐसे कर्मचारी मिले हैं।
सिम्स और अंबेडकर हॉस्पिटल ने बताया सर्टिफिकेट फर्जी
राज्य सरकार के सिम्स (बिलासपुर) और डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय (रायपुर) द्वारा जांच में यह स्पष्ट किया गया कि इन 27 लोगों के दिव्यांगता प्रमाण पत्र फर्जी हैं। इसके बाद कलेक्टर मुंगेली ने संबंधित विभाग प्रमुखों को पत्र लिखकर इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
कुछ ने हाईकोर्ट का सहारा लिया
फर्जीवाड़ा उजागर होते ही कुछ कर्मचारियों ने मामला हाईकोर्ट में पहुंचा दिया है। वहीं कई कर्मचारियों की मेडिकल जांच हो चुकी है, जबकि कुछ अब तक जांच में पेश नहीं हुए हैं।
सिर्फ बहरेपन का दावा, पूरा गिरोह सक्रिय होने का शक
एक हैरानी की बात ये भी है कि सभी 27 लोगों ने बहरेपन (श्रवण बाधित) का ही प्रमाण पत्र दिखाया है, जिससे अंदेशा है कि कोई गिरोह लंबे समय से इस तरह के फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर लोगों को नौकरी दिला रहा था।
जाति और विभाग की भी अजीब समानता
रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि 27 में से 9 कर्मचारी राजपूत समाज से हैं, और इतनी बड़ी संख्या में एक ही जाति के लोग एक जैसे फर्जी प्रमाण के साथ नौकरी में होना संयोग नहीं, बल्कि साजिश का संकेत है।
दिव्यांग संगठन की तीखी प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ निःशक्त जन अधिकार सहयोग समिति के प्रदेशाध्यक्ष राधा कृष्ण गोपाल ने इस खुलासे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “यह सभी दिव्यांगों के बरसों से किए जा रहे संघर्ष का परिणाम है। अब आवश्यकता है कि दोषियों पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई हो, उनसे पाई-पाई की वसूली की जाए और वास्तविक दिव्यांगजनों को उनका हक दिया जाए। यही दिव्यांग समाज की सबसे बड़ी जीत होगी।”
कलेक्टर ने जिन विभागों को लिखा बर्खास्तगी का पत्र:
जिला पंचायत सीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी
कृषि उप संचालक
उद्यानिकी सहायक संचालक
श्रम पदाधिकारी
योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी
यह मामला सिर्फ फर्जी सर्टिफिकेट का नहीं, बल्कि सरकारी व्यवस्था और दिव्यांग कल्याण नीति की साख पर भी सवाल खड़ा करता है। अब पूरा प्रदेश देख रहा है कि दोषियों को कब और कैसी सजा मिलती है?