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फर्ज़ी दिव्यांग बन सरकारी नौकरी! 21 अफसर अब भी जांच से भागे, कलेक्टर ने भेजा कड़ा नोटिस

फर्जी दिव्यांग प्रकरण में प्रशासन सख्त

फर्ज़ी दिव्यांग बन सरकारी नौकरी! 21 अफसर अब भी जांच से भागे, कलेक्टर ने भेजा कड़ा नोटिस

फर्जी दिव्यांग प्रकरण में प्रशासन सख्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ में फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे शासकीय सेवाओं में पदस्थ 27 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन ने जबरदस्त जांच अभियान छेड़ रखा है। कलेक्टर कुंदन कुमार के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद 21 आरोपी अधिकारी व कर्मचारी आज तक जांच में अनुपस्थित हैं। इस गंभीर लापरवाही पर अब जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए विभागीय कार्रवाई के लिए संबंधित संचालकों व आयुक्तों को पत्र भेज दिया है।

अपर कलेक्टर जी.एल. यादव ने बताया कि सभी 27 आरोपियों को रायपुर स्थित संभागीय राज्य मेडिकल बोर्ड से भेषज जांच कराने के निर्देश दिए गए थे। निर्धारित तिथि 18 जुलाई को कोई भी अधिकारी-कर्मचारी जांच के लिए उपस्थित नहीं हुआ।

अब तक केवल 4 अधिकारी-कर्मचारी ही जांच प्रक्रिया पूरी कर पाए हैं, जबकि 2 का स्थानांतरण अन्य जिलों में हो चुका है। शेष 21 में से 20 कर्मचारियों ने माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में याचिका दाखिल की है और एक बिना सूचना के पूरी तरह से लापता है।

यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब छत्तीसगढ़ दिव्यांग संगठनों ने फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाकर सरकारी नौकरी करने वालों की शिकायतें जिला प्रशासन को सौंपी थीं। इसके बाद कलेक्टर कुंदन कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष व तेज जांच की प्रक्रिया शुरू की।

क्या है प्रशासन का अगला कदम?

अनुपस्थित अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा।

दोषी पाए जाने पर निलंबन, सेवा समाप्ति या आपराधिक मुकदमा तक की तैयारी।

जांच में सहयोग न करने वालों की सूची सीधे मंत्रालय को भेजी जाएगी।

सवाल खड़े होते हैं:

अगर ये कर्मचारी वास्तव में दिव्यांग नहीं हैं, तो कितने वर्षों से फर्जीवाड़ा कर वेतन ले रहे थे?

किसने इनका दिव्यांग प्रमाणपत्र सत्यापित किया और किस स्तर पर प्रशासन चूका?

और यदि दोषी पाए जाते हैं तो क्या रिकवरी व सजा दोनों होगी?

फर्जी दिव्यांग प्रमाणपत्र के सहारे नौकरी करने का यह मामला न केवल नैतिक गिरावट को उजागर करता है, बल्कि शासन-प्रशासन की आंखें खोलने वाला है। इस पूरे प्रकरण में सख्ती से कार्रवाई होनी ही चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी योग्य दिव्यांग उम्मीदवारों के अधिकारों से खिलवाड़ न कर सके।

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