जांजगीर का पत्रकार बना फर्जी दिव्यांग, कई साल से हड़प रहा शासकीय चावल, दिव्यांग संघ का आंदोलन तय
“फर्जीवाड़े पर दिव्यांग संघ सख्त, अब होगी कलेक्ट्रेट, खाद्य विभाग व पुलिस विभाग में शिकायत”

जांजगीर का पत्रकार बना फर्जी दिव्यांग, कई साल से हड़प रहा शासकीय चावल, दिव्यांग संघ का आंदोलन तय
“फर्जीवाड़े पर दिव्यांग संघ सख्त, अब होगी कलेक्ट्रेट, खाद्य विभाग व पुलिस विभाग में शिकायत”
जांजगीर। फर्जीवाड़े की पोल खुलने के बाद अब जिले में हड़कंप मच गया है। जानकारी के मुताबिक जांजगीर जिले का एक पत्रकार पिछले कई सालों से फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र का सहारा लेकर शासकीय उचित मूल्य की दुकान से चावल का लाभ उठा रहा है। प्रदेश और जिला स्तर पर दिव्यांग संगठन लंबे समय से ऐसे फर्जी लाभार्थियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। अब यह मामला दिव्यांग संघ के संज्ञान में आया है और जल्द ही संघ द्वारा इसकी शिकायत संबंधित विभाग सहित पुलिस विभाग में की जाएगी।
प्रदेश दिव्यांग संघ का कहना है कि जिले में कुछ प्रभावशाली लोग फर्जी दस्तावेज बनाकर दिव्यांग का हक मार रहे हैं। इस कड़ी में संघ के हाथ दस्तावेज लगे हैं, जिनसे साफ है कि एक पत्रकार ने ग्राम पंचायत स्तर पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाया और सालों तक शासन की योजनाओं का दुरुपयोग किया।
संघ ने प्रशासन से इस पूरे मामले की सख्त जांच कर कार्रवाई की मांग की तैयारी कर ली है। संघ का कहना है कि यदि शिकायत उपरांत जल्द ही प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए तो बड़ा आंदोलन छेड़ा जाएगा।
दिव्यांग संघ के पदाधिकारियों के तेवर
यह सिर्फ चावल तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि शासन की कई योजनाओं में भी फर्जी दिव्यांग लाभार्थी घुसपैठ कर चुके हैं। पहले भी कई कर्मचारियों पर गाज गिरी है, अब इस पत्रकार का भी गिरफ्त में आना तय है। असली दिव्यांगों के अधिकार छीनने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
कौन सी धाराएँ लग सकती हैं?
इस तरह के फर्जीवाड़े पर विभिन्न धाराएँ लागू होती हैं –
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 – धोखाधड़ी और छलपूर्वक लाभ उठाने का अपराध (7 साल तक की सजा और जुर्माना)।
धारा 468 – कूटरचना (Forgery) कर धोखाधड़ी से लाभ लेने पर (7 साल तक की सजा)।
धारा 471 – जाली दस्तावेज का उपयोग करना (2 साल से लेकर 7 साल तक की सजा)।
धारा 120B – आपराधिक साजिश में शामिल होने पर (सह-अपराधियों को भी सजा)।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत भी कार्यवाही संभव।
अब सवाल प्रशासन से
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस “फर्जी दिव्यांग बने पत्रकार” पर कब तक शिकंजा कसता है और कई सालों से चल रहे इस गोरखधंधे का खुलासा कब होता है। सवाल ये है कि क्या जिला प्रशासन और खाद्य विभाग इतने बड़े फर्जीवाड़े पर तत्काल कार्रवाई करेंगे या फिर इसे भी फाइलों में दबा देंगे?




