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ग्राम पंचायत अंगारखार में खुला भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, जो करते थे उजागर, आज खुद खा रहे मलाई!

ईमानदारी का मुखौटा उतरा, फर्जी कार्य, बेनामी भुगतान और संदिग्ध आहरण ने खोली पंचायत तंत्र की पोल

ग्राम पंचायत अंगारखार में खुला भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, जो करते थे उजागर, आज खुद खा रहे मलाई!

ईमानदारी का मुखौटा उतरा, फर्जी कार्य, बेनामी भुगतान और संदिग्ध आहरण ने खोली पंचायत तंत्र की पोल

जांजगीर-चाम्पा। बलौदा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अंगारखार में भ्रष्टाचार का ऐसा चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है जिसने पूरे पंचायत तंत्र की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्राम के दो व्यक्ति महेंद्र कुर्मी और मुकेश लहरे, जो वर्षों से पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाने वाले “स्वयंभू जागरूक नागरिक” माने जाते थे, अब खुद संदिग्ध आर्थिक लेनदेन और फर्जी कार्यों में संलिप्त पाए जा रहे हैं।

पचरी मरम्मत के नाम पर 35-35 हजार की बंदरबांट!

ग्राम पंचायत द्वारा दोनों के खातों में 35-35 हजार रुपये पचरी मरम्मत के नाम पर डाले गए। चौंकाने वाली बात यह है कि काम धरातल पर हुआ ही नहीं, लेकिन विभागीय ऐप में मरम्मत कार्य पूर्ण दिखाने फर्जी फोटो अपलोड कर दिया गया और दोनों युवकों ने रकम को आहरित भी कर लिया।

शौचालय निर्माण के नाम पर 45 हजार… पर खर्च आंगनबाड़ी में!

महेंद्र कुर्मी के खाते में 45 हजार रुपये पूर्व माध्यमिक शाला में शौचालय निर्माण हेतु डाले गए, लेकिन राशि किसी और निर्माण (आंगनबाड़ी) में खर्च कर दी गई, शौचालय निर्माण आज तक शुरू नहीं हुआ। इसी प्रकार नाली निर्माण के लिए 60 हजार रुपये भी महेंद्र के खाते में डाले गए। महेंद्र का दावा है कि उन्होंने राशि वापस सरपंच-सचिव को लौटा दी, लेकिन इसका कोई ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।

मुकेश लहरे के खाते में मोटर पंप ऑपरेटर के नाम पर 45 हजार!

वर्तमान पंचायत द्वारा मुकेश के खाते में मोटर पंप ऑपरेटर बताकर 45 हजार रुपये डाले गए, जबकि पूर्व सरपंच का स्पष्ट कहना है कि मुकेश कभी भी इस पद पर पदस्थ ही नहीं था, फिर उसके नाम पर इतनी बड़ी राशि क्यों और कैसे स्वीकृत हुई यह बड़ा सवाल है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते थे, उनके खातों में आई रकम पर चुप्पी क्यों? महेंद्र और मुकेश दोनों वर्षों से पंचायत की अनियमितताओं की शिकायत करते रहे, लेकिन जब उनके खुद के खातों में बेनामी और संदिग्ध राशि आई, तब उन्होंने न थाने में शिकायत की, न विभाग को सूचना दी और न ही उनके पास राशि वापस करने का कोई वैध दस्तावेज है। यह चुप्पी खुद इन दोनों की संलिप्तता को प्रमाणित करती नज़र आ रही है।

पंचायत सचिव ने दिया गोलमोल जवाब

जब इस गंभीर अनियमितता पर पंचायत सचिव से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बेहद गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कहा—
“मैं रायपुर जा रहा हूं… आपको जो छापना है छाप लीजिए।”
यह बयान संदेह और बढ़ाता है कि कहीं पूरा मामला अंदरूनी सांठगांठ का परिणाम तो नहीं?

पहले भी जेल जा चुके हैं पंचायत प्रतिनिधि

गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व ग्राम पंचायत कोटमी सोनार के सरपंच-सचिव आर्थिक अनियमितताओं के मामले में जेल भेजे जा चुके हैं। इससे साफ है कि पंचायत तंत्र में लगातार वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर मामले सामने आ रहे हैं।

अब ज़रूरी है निष्पक्ष जांच और कठोर कार्रवाई

ग्राम पंचायत अंगारखार के इस मामले में पंचायत राशि के आहरण, फर्जी कार्य दिखाए जाने, पदस्थापना संबंधी झूठे दावे और आर्थिक सांठगांठ जैसे गंभीर आरोप स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आ रहे हैं। अब आवश्यक है कि जिला प्रशासन तत्काल उच्चस्तरीय, निष्पक्ष जांच कर इस पूरे फर्जीवाड़े की सच्चाई सामने लाए, ताकि दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जा सके और पंचायत निधियों की लूट पर लगाम लगाई जा सके।

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